जींद के एक वरिष्ठ वकील को एक बदमाश ने फोन कर जान से मारने की धमकी दी है। वकील का आरोप है कि जेल में बंद बदमाश प्रदीप उर्फ गट्टा ने उसे धमकी देते हुए कहा कि तेरे दो भाइयों का हम मर्डर कर चुके हैं और अब तेरी बारी है। एडवोकेट दोनों मर्डर का गवाह है और केस भी खुद ही लड़ रहा है, उसे केस वापस लेने को लेकर धमकी दी गई है। सिविल लाइन पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। धमकी देने वाला आरोपी एडवोकेट के बड़े भाई के मर्डर में मुख्य आरोपी है।
सिविल लाइन थाना पुलिस को दी शिकायत में एडवोकेट विनोद बंसल ने कहा कि वह 30 जुलाई को सुबह 9 बजकर 55 मिनट पर अपने चैंबर में मौजूद था। तब उसके मोबाइल पर एक कॉल आई, जो ट्रू कॉलर पर कॉलर का नाम प्रदीप लिखा आया था। कॉल करने वाले ने उसे गंदी गलियां देते हुए धमकी दी कि 10 दिन के अंदर तुझे और तेरे परिवार को भी तेरे भाई की तरह ही गोलियां मारकर खत्म कर देंगे।
उसने अपना नाम प्रदीप उर्फ गट्टा बताया और कहा कि तेरे भाई को भी उसने और बलजीत पोकरी खेड़ी वगैरा ने मारा था। अब तेरा और तेरे परिवार का नंबर है। इसके बाद 1 बजकर 10 मिनट पर भी कई बार उसे कॉल करके धमकी दी और इस बार कॉल करने वाले ने धमकी देते हुए कहा कि वह प्रदीप उर्फ गट्टा का भाई बोल रहा है।
पुलिस सिक्योरिटी और बढ़ाने की मांग एडवोकेट विनोद बंसल और उसके परिवार को पुलिस ने पहले से ही सुरक्षा दी हुई है। विनोद बंसल ने आशंका जताई है कि किसी भी वक्त उस पर व उसके परिवार पर ये गैंग जानलेवा हमला कर सकता है।
विनोद बंसल का कहना है कि ये गैंग उन्हें डराकर अपने केसों की पैरवी से पीछे हटाना चाहता है। पुलिस विभाग द्वारा उन्हें दी गई सुरक्षा नाकाफी है। ज्यादातर समय गनमैन मोबाइल चलाते रहते हैं और ड्यूटी से नदारद रहते हैं। पुलिस ने प्रदीप गट्टा और उसके भाई के खिलाफ बीएनएस की धारा 232, 296, 351(3) के अंतर्गत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर
दी है।
फोन कॉल जेल से नहीं हुई
इस मामले में जेल अधीक्षक दीपक शर्मा ने कहा कि एडवोकेट विनोद बंसल को जान से मारने की धमकी की कॉल जेल से नहीं हुई। जिस सिम से कॉल कर धमकी दी गई, वह जेल में बंद हत्यारोपी प्रदीप के नाम से है, मगर इस सिम को प्रदीप का भाई इस्तेमाल कर रहा है। प्रदीप से पूछताछ की गई तो उसने कहा कि उसके नाम के सिम को उसका भाई इस्तेमाल कर रहा है। जेल अधीक्षक ने कहा कि उन्होंने जेल में हर तरह से जांच कर ली है। जिला जेल जींद से एडवोकेट विनोद बंसल को कोई कॉल किसी भी तरह से नहीं हुई।