रोहतक 3 सितंबर (निस)
अत्यधिक स्पीड और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते सड़क दुर्घटनाओं में काफी इजाफा हो रहा है और ऐसे मामलों में अधिकतर मरीजों की हड्डियां टूटी हुई मिलती हैं। दुनिया भर के ट्रॉमा सेंटरों में आने वाले रोगियों में अकसर यह देखा जा रहा है कि मरीजों में हड्डी के टुकड़े चोट के समय गिर जाते हैं, संक्रमण, हड्डियों का न जुड़ना और पैरों की लंबाई कम होना पाया जाता है। मरीजों को फिर से उनकी दिनचर्या में वापस लाने के लिए रूसी इलिज़ारोव तकनीक काफी कारगर है। यह कहना है हड्डी रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र वाधवानी का। वे शनिवार को हड्डी रोग विभाग में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। डॉ. जितेंद्र वाधवानी ने बताया कि रूसी इलिजाराव तकनीक से एक ही समय में नई हड्डी का निर्माण और अंगों को लंबा करना संभव है। सर्जरी के ठीक बाद मरीज अपने टूटे हुए अंग पर चल सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह एक अत्यधिक बहुमुखी तकनीक है जिसमें तीव्र आघात, विकृति सुधार, पुरानी हड्डी के संक्रमण, लंबी हड्डियों के नोन यूनियन आदि अनेक फायदे शामिल है। ठीक होकर आए मरीजों जितेंद्र, सुनील, विष्णु, प्रेम ने ऑर्थाेपेडिक्स विभाग और पीजीआइएमएस के चिकित्सकों का आभार जताया।