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रोहतक विश्वविद्यालय में एमबीबीएस परीक्षा घोटाले का पर्दाफाश

2 कर्मचारी निलंबित, 3 आउटसोर्स वर्करों की सेवाएं बंद, पैनल करेगा मामले की जांच

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रविंदर सैनी/ ट्रिन्यू 

रोहतक, 12 जनवरी

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रोहतक के पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज में एमबीबीएस परीक्षा से जुड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। जानकारी के अनुसार इसमें यूनिवर्सिटी के कर्मचारी और राज्य के तीन निजी मेडिकल कॉलेजों के छात्र शामिल हैं। घोटालेबाजों ने एमबीबीएस छात्रों से कथित तौर पर पेपर पास करवाने के लिये प्रति विषय 3 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच लिया। एक एमबीबीएस छात्र द्वारा विश्वविद्यालय के अधिकारियों के पास दर्ज की शिकायत के बाद इस मामले का खुलासा हुआ।

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छात्र ने बताया कि छात्र परीक्षा लिखने के लिए ऐसे पेन का उपयोग करते थे जिसकी स्याही सुखाकर साफ की जा सके। इसके बाद उत्तर पुस्तिकाएँ विश्वविद्यालय से बाहर चोरी-छिपे भेजी जाती थीं। बाहर ले जाकर घपलेबाजों की टीम हेयर ड्रायर से स्याही को गायब करके उत्तर पुस्तिकाओं में सही जवाब लिख कर दोबारा सेंटर में भेजती थी। शिकायत के अनुसार, घोटालेबाज न केवल एमबीबीएस परीक्षाओं में बल्कि छात्रों को एनईईटी-यूजी और फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स परीक्षा जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं को पास कराने में भी मदद करते थे।

वहीं, सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों को घोटालेबाजों के निर्देश पर छात्रों द्वारा अपने आउटसोर्स कर्मचारियों को किए गए दो अलग-अलग ऑनलाइन लेनदेन के सबूत मिले हैं। शिकायत और मामले की प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एचके अग्रवाल ने दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और तीन आउटसोर्स स्टाफ सदस्यों की सेवाएं जांच पूरी होने तक तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गयी हैं। उन्होंने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित की है। पैनल को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

सूत्रों ने कहा कि वीसी ने मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान किसी भी संभावित कदाचार को रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से मेडिकल और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में परीक्षाओं के लिए ऑन-द-स्पॉट मूल्यांकन प्रणाली लागू करने के आदेश जारी किए।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, हमने रोशन लाल और रोहित नामक कर्मचारी को निलंबित कर दिया है, जबकि आउटसोर्स कर्मचारियों-दीपक, इंदु और रितु की सेवाएं प्रारंभिक जांच पूरी होने तक बंद कर दी हैं। वीसी ने कहा कि रैकेट में शामिल किसी अन्य व्यक्ति की पहचान करने के लिए विश्वविद्यालय की गोपनीयता और परीक्षा शाखाओं में तैनात सभी कर्मचारियों से पूछताछ की जाएगी। और जांच के दौरान जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्ती से निपटा जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो हम जांच में पुलिस से भी मदद मांगेंगे।

ऐसे काम करते थे घोटालेबाज

- छात्र मिटाने योग्य स्याही का उपयोग करके परीक्षा लिखते थे

- इसके बाद उत्तर पुस्तिकाएं विश्वविद्यालय से चुपचाप बाहर निकाल दी गईं

- हेयर ड्रायर का उपयोग करके लिखावट को हटा दिया जाता था

- उत्तर पुस्तिकाएं दोबारा लिखी गईं और मूल्यांकन के लिए जमा की गईं

- परीक्षा पास करने के लिए प्रति विषय 3 लाख से 5 लाख का शुल्क

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