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Rohtak News: कोहरे में रोहतक–सोनीपत रोड पर कटीली झाड़ियों और टूटी सड़क ने बढ़ाया जान का खतरा

कोहरे का मौसम पूरी तरह सक्रिय हो चुका है और इसका सीधा असर सड़क सुरक्षा पर पड़ रहा है। सीमित दृश्यता के बीच सड़क किनारे फैली कटीली झाड़ियां और जगह-जगह टूटी सड़क हालात को बेहद खतरनाक बना रही है। यूं...

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कोहरे का मौसम पूरी तरह सक्रिय हो चुका है और इसका सीधा असर सड़क सुरक्षा पर पड़ रहा है। सीमित दृश्यता के बीच सड़क किनारे फैली कटीली झाड़ियां और जगह-जगह टूटी सड़क हालात को बेहद खतरनाक बना रही है।

यूं तो जिलेभर की सड़कों, विशेषकर गांवों के संपर्क मार्गों पर भी यही स्थिति बनी हुई है, लेकिन जिले की मुख्य सड़क रोहतक–सोनीपत रोड पर हालात कहीं अधिक गंभीर हैं। यहां सड़क के दोनों ओर उगी कटीली झाड़ियां अब तेजी से फैलते हुए सड़क की सतह तक पहुंचने लगी हैं।

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स्थिति यह है कि कई स्थानों पर ये झाड़ियां सड़क किनारे बनी सफेद पट्टी (व्हाइट लाइन) से भी आगे आकर चलती यातायात लेन में प्रवेश कर रही हैं। इससे रोजाना गुजरने वाले वाहन चालकों, विशेषकर दोपहिया सवारों के सामने बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि लंबे समय से इन झाड़ियों की कटाई नहीं की गई, जिसके चलते ये लगातार फैलती जा रही हैं। तेज रफ्तार में गुजरते वाहन चालकों को दूर से इन कटीली शाखाओं का अंदेशा भी नहीं होता और कई बार अचानक इनसे टकराकर दोपहिया सवार चोटिल हो जाते हैं।

सड़क से गुजरने वाले विद्यार्थियों, दफ्तरी कर्मचारियों और ग्रामीण यात्रियों ने बताया कि शाम के समय जब रोशनी कम होती है, तब इन झाड़ियों का खतरा और बढ़ जाता है। सर्दियों के मौसम में सुबह–शाम कोहरा छाने से दृश्यता कम रहती है। ऐसे में यदि इन कटीली झाड़ियों की तुरंत सफाई नहीं कराई गई तो गंभीर दुर्घटनाएं होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

इसके अलावा सड़क पर अनेक स्थानों पर गड्ढे बने हुए हैं और कई हिस्सों में सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है।राहगीरों ने बताया कि कोहरा शुरू होने के बाद दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ गया है। धुंध के कारण ये गड्ढे समय पर दिखाई नहीं देते, जिससे वाहन चालकों को अचानक संतुलन खोने का खतरा बना रहता है।

लोगों में इस बात को लेकर रोष है कि प्रशासन अब तक कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। न झाड़ियों की कटाई करवाई जा रही है और न ही टूटी सड़क की मरम्मत या धुंध के मौसम को देखते हुए सड़क किनारे रिफ्लेक्टर अथवा अन्य सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रशासन किसी बड़े हादसे से पहले भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

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