पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रोहतक जिला बार एसोसिएशन के चुनाव को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने उन वकीलों की याचिका को खारिज कर दिया जिन्होंने चुनावी प्रक्रिया, नियमों की वैधता और अनुशासनात्मक कार्रवाई पर सवाल उठाए थे और रोहतक बार एसोसिएशन के चुनाव की पूरी प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से चुनाव करवाने की मांग की थी। न्यायमूर्ति गुरविंदर सिंह गिल और न्यायमूर्ति दीपिंदर सिंह नलवा की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की दलीलों का कोई ठोस कानूनी आधार नहीं है और उनके पास उपलब्ध वैधानिक उपायों का प्रयोग करने के बावजूद हाईकोर्ट में आना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
हाईकोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन (संविधान और पंजीकरण) नियम, 2015 पूरी तरह वैध हैं। इन्हें पहले भी चुनौती दी जा चुकी है और कोर्ट ने इन्हें चुनावों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बताया था। नियम बनाने का उद्देश्य बार एसोसिएशनों की स्वायत्तता छीनना नहीं, बल्कि चुनावों में पारदर्शिता लाना है। चुनाव प्रक्रिया को चुनौती देने का नियमित उपाय चुनाव याचिका है, जिसे बार काउंसिल के समक्ष दाखिल किया जा सकता है। चूंकि कुछ अन्य सदस्यों ने यह रास्ता अपनाया है, इसलिए याचिकाकर्ताओं का हाईकोर्ट में आना असंगत है। निलंबन आदेश के खिलाफ वैकल्पिक अपील उपलब्ध है और याचिकाकर्ता पहले ही इसका उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में समानांतर रूप से हाईकोर्ट में चुनौती देना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता चुनाव में असफल होने और अनुशासनात्मक कार्रवाई से आहत होकर पूरी प्रक्रिया को अवैध ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन वे यह साबित करने में नाकाम रहे कि नियम 2015 मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं या इनमें कोई मनमानी है। अंततः अदालत ने याचिका को बिना मेरिट के मानते हुए खारिज कर दिया।