उपमंडल परिसर में लोगों ने स्वेच्छा से हटाए 50 साल पुराने कब्जे, प्रशासन ने भी बढ़ाए मदद के हाथ
जानकारी अनुसार, उपमंडल परिसर की जमीन पर कई लोगों ने करीब पांच दशक पहले कब्जा कर दुकानों व आवासों का निर्माण कर लिया था। पिछले कई वर्षों से प्रशासन इन अवैध निर्माणों को हटाने की कोशिश कर रहा था। कई बार नोटिस भी जारी किए गए, लेकिन कब्जे नहीं हट पाए।
हाल ही में एसडीएम विकास यादव ने कब्जाधारियों से बातचीत की और उन्हें स्वेच्छा से कब्जा हटाने के लिए प्रेरित किया। शनिवार को नगर पालिका कर्मचारियों ने कब्जाधारियों को घर व दुकानें खाली करने के निर्देश दिए थे। रविवार सुबह प्रशासन की ओर से जेसीबी, पोकलैंड और ट्रैक्टर की व्यवस्था की गई। इसके बाद लोगों ने अपने घरों और दुकानों को स्वयं गिराकर मलबा हटवाया और अपने सामान को सुरक्षित स्थान पर ले गए।
हालांकि कुछ लोगों ने प्रशासन से अधिक समय और मुआवजे की मांग की। ग्रामीण चंचल, कृष्ण, वजीर सिंह, महेंद्र और रामबिलास ने कहा कि उनके मकान तो तुड़वा दिए गए, पर अब प्रशासन को उनकी आर्थिक सहायता करनी चाहिए ताकि वे दोबारा अपना जीवन व्यवस्थित कर सकें।
बास के नायब तहसीलदार कृष्ण कुमार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था, जबकि थाना प्रभारी रमेश कुमार ने पूरे दिन हालात पर निगरानी रखी। यह कार्रवाई बिना किसी विवाद या झगड़े के शांतिपूर्वक संपन्न हुई। गौरतलब है कि हाल ही में सेशन जज ने इस परिसर का सर्वे किया था, क्योंकि इसी भूमि के पीछे कोर्ट की नई इमारत का निर्माण प्रस्तावित है। जल्द ही नारनौंद में अदालत का कार्य शुरू होने की संभावना है। स्थानीय लोगों ने इस कदम को शहर के विकास की दिशा में बड़ा और सकारात्मक बदलाव बताया।
