रोहतक, 4 मई (हप्र)
शिक्षा प्रणाली किसी भी देश की धुरी है। शोध एवं नवाचार शिक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा हैं। आज जरूरत है कि उच्चतर शिक्षण संस्थानों में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा दिया जाए। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने ये विचार आज यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी द्वारा- रिसर्च एंड इनोवेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए।
सेंटर फॉर रिसर्च एंड इन्नोवेशन इंडिया तथा अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, एमडीयू रोहतक यूनिट के सहयोग से आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में अध्यक्षीय भाषण देते हुए कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में भी शोध एवं नवाचार पर फोकस किया गया है। उन्होंने इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों से समाज की समस्याओं के समाधान के दृष्टिगत शोध एवं नवाचार की दिशा में कार्य करने की बात कही।
कुलपति ने कहा कि शोध एवं नवाचार सस्टेनेबल डेवेलपमेंट के लिए होना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में संतुलन बनाए रखते हुए शोध एवं नवाचार समाज के ज्वलंत मुद्दों पर फोकस हो और समस्याओं का समाधान करें, ऐसा उनका कहना था। उन्होंने इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को प्रौद्योगिकी के जरिए लैब के कार्य को लैंड तक ले जाने के लिए प्रोत्साहित किया।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के महासचिव महेन्द्र कपूर ने बतौर मुख्यातिथि इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। उन्होंने संगोष्ठी के थीम को महत्वपूर्ण बताते हुए संपोषणीय विकास के लिए शोध एवं नवाचार करने की बात कही।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, हरियाणा के प्रो. दया सिंह ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। यूआईईटी के निदेशक प्रो. युद्धवीर सिंह ने प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला।
आईजेपीयूपी, पुर्तगाल के प्रो. फर्नांडो मोरैरा, एस्टाना आईटी यूनिवर्सिटी, कजाकिस्तान के स्कूल ऑफ कंप्यूटर इंजीनियरिंग के निदेशक प्रो. प्रवीण वशिष्ठ तथा अमेटी यूनिवर्सिटी, ताशकंद की डा. सीमा ने बतौर की-नोट स्पीकर इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में ऑनलाइन विशेष व्याख्यान दिए। प्रो. राहुल ऋषि ने आभार जताया। प्राध्यापिका डा. चंचल हुड्डा ने उद्घाटन सत्र में मंच संचालन किया। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के कोआर्डिनेटर अरूण हुड्डा ने संगोष्ठी का समन्वयन किया।
हाइब्रिड मोड में आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुल 24 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर यूआईईटी के प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं विदेश एवं देशभर से प्रतिभागी ऑनलाइन व ऑफलाइन
उपस्थित रहे।