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एनडीसी में गैर-मंजूरशुदा रकबे को मंजूरशुदा दर्शा की रजिस्ट्री

खास खबर...तहसील में बिना लिंक्ड पोर्टल जांचे रजिस्ट्री, नप में बिना विकास शुल्क के नाम तब्दील
नप के मुताबिक प्रॉपर्टी आईडी का अन-ऑथराइज्ड और ऑथराइज्ड स्थिति वाला दस्तावेज। -निस
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इकबाल सिंह शांत/निस

डबवाली, 22 फरवरी

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शहर में एक एनडीसी में गैर-मंजूरशुदा रकबे को मंजूरशुदा दर्शा रजिस्ट्री करवाने के मामले में तहसील कार्यालय व नगर परिषद कार्यालय के बीच आरोप-प्रत्यारोप की जंग शुरू हो गयी है। पत्राचार में दोनों कार्यालयों ने एक-दूसरे को दस्तावेजी छेड़छाड़ व लापरवाही के लिए जिम्मेदार बताया। नायब तहसीलदार रवि कुमार ने नप ईओ को पत्र भेजकर उक्त प्रॉपर्टी आईडी की एनडीसी को नप कर्मचारियों से सांठ-गांठ करके कथित फर्जी बनाने का आरोप लगाया। पत्र की प्रतिलिपि पुलिस को भेजी गई है।

नगर परिषद प्रॉपर्टी आईडी ‘3एमजीवाईजेए11’ से जुड़ा है। जिसमें सुखदीप कौर वासी गिदडखेड़ा ने 266 गज रकबा मंडी किलियांवाली की सरबजीत कौर को बेचा। गत 11 फरवरी 2025 को उक्त रकबे का तहसील डबवाली में वसीका नं. 4202 के तहत पंजीकरण (रजिस्ट्री) हुआ। तहसील में पेश दस्तावेज बकाया प्रॉपर्टी टैक्स 65.84 रुपए अदायगी की रसीद है। जिसमें प्रॉपर्टी स्टेट्स को अन-ऑथराइज्ड की जगह कथित तौर ऑथराइज्ड लिखा हुआ है। इस संगीन मामले में नप डबवाली को बिना विकास शुल्क अदा किये प्राॅपर्टी हस्तांतरण से हजारों रुपए का आर्थिक चूना लगा है। नियमों के तहत गैर-मंजूरशुदा रकबा नप में विकास शुल्क अदायगी के बाद ‘ऑथराइज्ड’ श्रेणी में आता है। फिर पोर्टल से जारी एनडीसी के आधार पर तहसील से वसीका पंजीकृत होना होता है।

नायब तहसीलदार रवि कुमार ने पत्र में लिखा कि गैर-मंजूरशुदा रकबे को मंजूर (ऑथराइज्ड) एनडीसी दस्तावेज पेश कर तहसील से वसीका नं. 4202 पंजीकृत करवा लिया गया। यूएलबी वेबसाइट पर प्रॉपर्टी आईडी अन-ऑथराइज्ड पाई गयी। तहसीलदार ने ईओ को जांच करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है। पक्ष लेने हेतु विवादित एनडीसी दस्तावेज पर दर्ज मोबाइल नंबर पर कॉल करने पर व्यक्ति ने उक्त जायदाद/दस्तावेज से कोई सबंध होने से इंकार कर दिया।

ईओ बोले- परिषद से एनडीसी जारी नहीं हुई

जबावी पत्र में नप डबवाली के ईओ सुरिन्दर कुमार ने लिखा कि एनडीसी पोर्टल पर ये आईडी सरबजीत कौर पत्नी गुरदीप सिंह के नाम गैरमंजूरशुदा दर्ज है। प्रार्थी ने नाम दर्ज करवाने, प्लॉट साइज दरुस्ती व मोबाइल नंबर अपडेट के लिए आनलाइन आवेदन किया था, जिसे जारी कर दिया गया। नप से कोई एनडीसी जारी नहीं हुई, न एनडीसी पोर्टल से छेड़छाड़ की गई। ईओ ने उक्त लापरवाही को तहसील स्तर की बताया। तहसील कार्यालय को रजिस्ट्री पंजीकरण से पूर्व दोनों विभागों के लिंक्ड पोर्टल वेब हरलिस व एनडीसी पोर्टल पर प्रॉपर्टी आईडी की सत्यता को जांचना चाहिये था। अब नप पर बेवजह आरोप थोपे जा रहे हैं।

पहले पार्षद पुत्र समेत 4 पर दर्ज हो चुका केस

बता दें कि गत 30 नवंबर 2024 को भी नप की फर्जी प्रॉपर्टी आईडी के जरिये 99 गज के प्लाॅट की रजिस्ट्री मामले में पार्षद पुत्र, प्रॉपर्टी डीलर व नंबरदार समेत 4 पर दर्ज मुकद्दमा दर्ज किया गया था।

गिरोह एनडीसी स्वरूप बदलने का मास्टर, विजिलेंस जांच हो

मामले की विजिलेंस जांच होनी चाहिए, क्योंकि तहसील में पेश विक्रेता पक्ष के नाम से जारी फर्जी ऑथराइज्ड एनडीसी दस्तावेज को हू-ब-हू किसने तैयार की। बिना विकास शुल्क अदा किये रकबा खरीदार महिला के नाम पर कैसे दर्ज हो गया। पिछले वर्षों में तहसील में दर्ज प्रॉपर्टी आईडीज से सबंधी सभी वसीका पंजीकरण की उच्च स्तरीय पड़ताल की मांग उठी है। माना जा रहा कि जांच में दर्जनों और फर्जीवाड़े सामने आ सकते हैं।

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