दीपेंद्र संग सुभाष बतरा की नजदीकी पर सियासी चर्चाएं
स्वतंत्रता दिवस की प्रभात फेरी और जनसभा के दौरान कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व मंत्री सुभाष बतरा लगातार साथ-साथ नजर आए। फेरी में बतरा ज्यादातर हुड्डा के साथ चलते रहे, वहीं सभा के मंच पर भी दोनों अगल-बगल बैठे दिखाई दिए। इस दौरान दीपेंद्र हुड्डा उनसे चर्चा करते और तवज्जो देते रहे।
सुभाष बतरा की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती रही है। वह लगभग 17 वर्षों तक जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे और भजनलाल सरकार में मंत्री भी बने। राजनीति में बतरा को लंबे समय तक भजनलाल खेमे का नेता माना जाता रहा, लेकिन साथ ही उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हमेशा अपना निजी मित्र बताया।
समय-समय पर उनकी नज़दीकियां अलग-अलग खेमों में देखी जाती रही हैं। उनकी नजदीकियां कुमारी सैलजा सहित अन्य नेताओं से भी रही हैं। जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के बाद दीपेंद्र हुड्डा ने रणनीति बदली है और वह अब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जोड़ने की कवायद में जुटे हैं। गत विधानसभा चुनाव में हुड्डा परिवार द्वारा पूरी ताकत प्रचार में झोंकने के बावजूद रोहतक सीट पर मात्र 1300 वोटों से ही जीत हो पाई थी। माना जा रहा है कि उस कांटे के मुकाबले के बाद परिवार और वरिष्ठ नेताओं ने और भी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। शायद यही कारण है कि अब दीपेंद्र हुड्डा मंच साझा करने से लेकर प्रभात फेरी तक में सुभाष बतरा जैसे पुराने और अनुभवी नेताओं को अहमियत देते दिखाई दे रहे हैं।
सियासी विश्लेषकों का कहना है कि यह समीकरण आने वाले समय में कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि रोहतक में कांग्रेस और भाजपा के बीच हमेशा सीधी टक्कर रहती है और ऐसे में पुराने नेताओं को साथ लेकर चलना हुड्डा परिवार के लिए मजबूती का आधार बन सकता है। बहरहाल, कारण चाहे जो भी रहे हों, लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर दोनों नेताओं की यह नज़दीकी और गुफ़्तगू राजनीतिक हलकों में तरह–तरह की चर्चाओं को जन्म दे गई है।