ट्रेंडिंगमुख्य समाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाफीचरसंपादकीयआपकी रायटिप्पणी

पिल्लूखेड़ा के लोगों को हाईवे का मिला ‘भाव’, नहीं मिला रोजगार

रामकुमार तुसीर/निस सफीदों (जींद), 18 मई पिल्लूखेड़ा क्षेत्र के लोगों की जमीनें तो हाईवे के कारण कीमती हो गईं, लेकिन रोजगार के दरवाजे अब तक नहीं खुल पाए हैं। दो नेशनल हाईवे (152डी और दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे) गुजरने के बावजूद यह...
प्रतीकात्मक फोटो
Advertisement

रामकुमार तुसीर/निस

सफीदों (जींद), 18 मई

Advertisement

पिल्लूखेड़ा क्षेत्र के लोगों की जमीनें तो हाईवे के कारण कीमती हो गईं, लेकिन रोजगार के दरवाजे अब तक नहीं खुल पाए हैं। दो नेशनल हाईवे (152डी और दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे) गुजरने के बावजूद यह क्षेत्र अभी तक विकास की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाया है। जमीनें ‘नियंत्रित क्षेत्र’ में चली गई हैं, उद्योग बसाने की योजनाएं फाइलों में दब गई हैं, और स्थानीय युवा रोज़गार की आस में भटक रहे हैं।

सरकार ने छह माह पहले अमरावली खेड़ा, खरक गादियां, जामनी, ढाटरथ समेत आधा दर्जन गांवों की जमीनों को नियंत्रित क्षेत्र घोषित कर दिया था।

हरियाणा अनुसूचित सड़क तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निवारण अधिनियम 1963 के तहत अधिसूचना जारी हुई, जिससे भवन निर्माण, खरीद-फरोख्त जैसे कामों पर रोक लग गई। परंतु इसके बाद विकास योजनाओं की रफ्तार वहीं की वहीं ठहरी हुई है। सफीदों के निवर्तमान कांग्रेस विधायक सुभाष गांगोली ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाते हुए कहा कि किसी योजना के नाम पर भूमि पर अनावश्यक पाबंदी लगाना भूमालिकों के साथ सरासर अन्याय है।

औद्योगिक एस्टेट की योजना भी फंसी

हरियाणा राज्य लघु उद्योग विकास निगम (एचएसएसआईडीसी) ने दो वर्ष पहले पिल्लूखेड़ा क्षेत्र में 3800 एकड़ में औद्योगिक एस्टेट विकसित करने की योजना बनाई थी। इसके लिए ईभूमि पोर्टल पर भू-मालिकों से सहमति भी मांगी गई थी।

यह योजना अभी अधर में लटकी हुई है। यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार अलग से अधिग्रहण करेगी या इसी नियंत्रित क्षेत्र की भूमि का उपयोग किया जाएगा।

प्रस्तावित भूमि वितरण

खरक गादियां 440 एकड़

ढाटरथ 1080 एकड़

जामनी 315 890 एकड़

भुरान 610 एकड़

अमरावली खेड़ा 15 300 एकड़

वर्ष 2019 से अधर में लटका है ‘विकास’ का खाका

नगर योजनाकार विभाग ने 2019 में इस क्षेत्र को नियंत्रित घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी। 2020 से लेकर 2024 तक ड्राफ्ट तैयार हुए, संशोधित हुए और फिर भेजे गए पर हर बार राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी आड़े आ गई। अब जबकि अधिसूचना जारी हो चुकी है, विस्तृत योजना आज तक सरकार को नहीं भेजी जा सकी है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि “सत्ता की राजनीतिक इच्छाशक्ति” के बिना ये परियोजनाएं ज़मीन पर नहीं उतर पाएंगी।

भूमालिक बोले - हमारी जमीनें रोकीं, काम कुछ नहीं

फिलहाल इस इलाके के लोग पिल्लूखेड़ा उपतहसील परिसर में लगे उस बोर्ड को देखने को मजबूर हैं, जिस पर अधिसूचना के हवाले से लिखा है कि नियंत्रित क्षेत्र की जमीनों पर किसी भी निर्माण के लिए सक्षम अधिकारी की स्वीकृति अनिवार्य है। इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए भूमालिकों का कहना है कि यह व्यवस्था उनके साथ अन्याय है। उनका तर्क है कि सरकार को इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लानी चाहिए, जिससे क्षेत्र में रोजगार और विकास की संभावनाएं पैदा हों।

Advertisement