माता-पिता है दुर्व्यसनों से दूर, तभी करे बच्चों से उम्मीद : आचार्य विजयपाल
झज्जर में महात्मा सुभाष आर्य के स्मृति दिवस में बोले गुरुकुल झज्जर के अधिष्ठाता
महर्षि दयानंद शिक्षण केंद्र द्वारा रविवार को नैष्ठिक ब्रह्मचारी महात्मा सुभाष आर्य की स्मृति में पवित्रता दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में गुरुकुल झज्जर के अधिष्ठाता आचार्य विजयपाल की अध्यक्षता में यज्ञ, भजन, प्रवचन व अभिनंदन हुआ। आचार्य विजयपाल ने कहा कि हर वैदिक धर्मावलंबी को यज्ञोपवित धारण करना चाहिए।
यज्ञोपवित माता-पिता, आचार्य और देवों के प्रति कर्तव्यों का स्मरण कराता है तथा व्यक्ति को बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि यदि माता-पिता स्वयं दुर्व्यसनों से दूर रहेंगे, तभी वे अपनी संतान से अच्छे संस्कारों की उम्मीद कर सकते हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य आशीष दर्शानाचार्य ने कहा कि साधना का अर्थ है अपने आपको शुभ कर्मों से निरंतर जोड़े रखना।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में मानसिक तनाव में नहीं आना चाहिए, बल्कि ईश्वर से प्रेरणा लेकर समभाव से कर्म करना चाहिए। भजनोपदेशक कुलदीप भास्कर ने अपने भावपूर्ण भजनों के माध्यम से महात्मा सुभाष आर्य को श्रद्धांजलि अर्पित की और महर्षि दयानंद तथा देश के शहीदों के प्रति भावनाओं को व्यक्त किया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों को पारितोषिक और वैदिक साहित्य भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डीईओ वीरेंद्र नारा, पूर्व विधायक अजीत सिंह, होशियार सिंह (रिटायर्ड प्रिंसिपल), स्वामी ओमानंद पटौदी, आचार्य आत्मप्रकाश भड़ताना, महाबीर सिंह, प्रवीण आर्य, आचार्य शतक्रतु, राजीव आर्य, हरिओम आर्य, प्रकाश वीर महामंत्री और किस्मत दलाल सिंह सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन ऋषि लंगर और शांति पाठ के साथ हुआ।
