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जींद में प्रस्तावित आईएमटी का विरोध हुआ मुखर

12 गांवों के किसानों ने कहा, नहीं देंगे जमीन, 22 को सौंपेंगे ज्ञापन जींद जिले में प्रस्तावित इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) योजना को लेकर किसानों का विरोध तेज हो गया है। बुधवार को शहर की जाट धर्मशाला में 12...
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12 गांवों के किसानों ने कहा, नहीं देंगे जमीन, 22 को सौंपेंगे ज्ञापन

जींद जिले में प्रस्तावित इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) योजना को लेकर किसानों का विरोध तेज हो गया है। बुधवार को शहर की जाट धर्मशाला में 12 गांवों के किसानों की बैठक आयोजित हुई। बैठक में किसानों ने साफ कहा कि वे अपनी जमीन सरकार को किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। किसानों ने आरोप लगाया कि उनकी सहमति के बिना ही जमीन का पंजीकरण किया जा रहा है, जो पूरी तरह गलत है।

किसानों ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सरकार दावा कर रही है कि आईएमटी के लिए 35,500 एकड़ जमीन की जरूरत है, जिसमें से करीब 30 हजार एकड़ जमीन किसानों की सहमति से पंजीकृत हो चुकी है। लेकिन जींद के किसानों ने इस दावे को झूठा करार दिया। उन्होंने कहा कि न तो उनसे कोई लिखित सहमति ली गई, न फोन पर ओटीपी आया और न ही उनसे कोई चर्चा की गई।

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किसानों का कहना है कि सरकार जबरन उनकी जमीन छीनकर उनका रोजगार खत्म करना चाहती है। बैठक में यह भी सवाल उठाए गए कि अगर जमीन छीन ली जाती है तो सरकार किसानों और उनके बच्चों को रोजगार की क्या गारंटी देगी। किसानों ने कहा कि जिन इलाकों में पहले उद्योग लगाने के लिए जमीन अधिग्रहित की गई, वहां के युवाओं को आज तक रोजगार नहीं मिला। ऐसे में वे अपनी उपजाऊ जमीन छोड़कर असुरक्षित भविष्य की ओर नहीं बढ़ सकते।

आईएमटी के लिए 12 गांवों की जमीन चिन्हित

आईएमटी के लिए अमरावली खेड़ा, अलेवा, ढाठरथ, ढिल्लूवाला, जामनी, हसनपुर, खरक गादियां, खांडा, मांडी खुर्द, नगूरां, मोहम्मद खेड़ा और गोहियां गांवों की जमीन चिन्हित की गई है। इन गांवों के किसानों का कहना है कि सरकार उन्हें मालिक से नौकर बनाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जमीन ली गई तो किसान के बेटे, जो आज खेतों में मेहनत कर रहे हैं, कल उन्हीं जमीनों पर बनी फैक्टरियों में 10 से 12 हजार रुपये की नौकरी करने को मजबूर होंगे। यह उन्हें कतई मंजूर नहीं है। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 22 सितंबर को किसान जिला उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। इस ज्ञापन में वे अपनी मांगों और आपत्तियों को मजबूती से रखेंगे।

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