Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कभी 11वीं में हो गया था फेल, अब सीए की परीक्षा में बना जिले का टॉपर

सोनीपत, 8 जुलाई (हप्र) किसी भी हालत में स्वीकार नहीं की हार, इसलिए जीत हासिल हुई। यह कहानी जिले के होनहार युवा शुभम वर्मा के संघर्ष की है। कभी 11वीं कक्षा में फेल हो जाने वाले शुभम ने न केवल...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

सोनीपत, 8 जुलाई (हप्र)

किसी भी हालत में स्वीकार नहीं की हार, इसलिए जीत हासिल हुई। यह कहानी जिले के होनहार युवा शुभम वर्मा के संघर्ष की है। कभी 11वीं कक्षा में फेल हो जाने वाले शुभम ने न केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसी कठिन परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास किया, बल्कि जिले में पहला स्थान भी प्राप्त किया है।

Advertisement

इस उपलब्धि के साथ उन्होंने यह साबित कर दिया कि निरंतर मेहनत, आत्मविश्वास और धैर्य से कोई भी मुकाम पाया जा सकता है।

शहर के रामनगर निवासी शुभम वर्मा की इस सफलता के पीछे लंबी साधना और अनुशासित दिनचर्या रही। वे रोजाना 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई करते थे और सोशल मीडिया व मोबाइल फोन से पूरी तरह दूरी बनाकर केवल लक्ष्य पर फोकस किया। कडी मेहनत से आज सफलता उनकी झोली में आ गई। शुभम ने बताया कि उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सोनीपत के शिवा शिक्षा सदन स्कूल से प्राप्त की। 12वीं की पढ़ाई हिंदू सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज से बीकॉम (रेगुलर) की डिग्री हासिल की। शिक्षा के इस सफर में उन्होंने न सिर्फ अकादमिक ज्ञान अर्जित किया, बल्कि अनुशासन और आत्म-नियंत्रण की मिसाल भी पेश की।

चार्टर्ड अकाउंटेंसी की कठिन प्रक्रिया के दौरान शुभम ने अपनी आर्टिकलशिप देश की प्रतिष्ठित बिग-4 फर्म ईवाई में की, जहां उन्हें इंडस्ट्री एक्सपोजर के साथ व्यावसायिक सोच को निखारने का अवसर मिला।

इस सफलता में शुभम अपने माता-पिता राजेश वर्मा और प्रतिभा को सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत मानते हैं। वे कहते हैं कि मेरे माता-पिता का नि:स्वार्थ सहयोग और बहन मुस्कान वर्मा का संबल ही मेरी सबसे बड़ी ताकत रहे हैं। यह सिर्फ एक डिग्री नहीं, बल्कि मेरे पूरे परिवार की जीत है।

असफलता अंत नहीं, बल्कि नयी शुरूआत होती है : शुभम

शुभम अब युवा विद्यार्थियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि असफलता अंत नहीं होती, बल्कि अगर मन में दृढ़ निश्चय हो, तो वहीं से एक नयी शुरुआत की जा सकती है।

Advertisement
×