पुराने टायरों को जलाकर निकाला जा रहा था तेल, भंडेरी में फैक्टरी की कई मशीनें सील, बिजली सप्लाई बंद करने की सिफारिश
साथ ही बिजली निगम को फैक्टरी की बिजली सप्लाई तुरंत बंद करने की सिफारिश भेजी गई है। गांव भंडेरी और आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीण लंबे समय से फैक्टरी से निकलने वाले धुएं और जहरीली गैसों से परेशान थे। दो दिसंबर को ग्रामीणों के एक समूह ने एसडीएम अंजलि श्रोत्रिय को शिकायत सौंपकर फैक्टरी पर कार्रवाई की मांग की थी।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि टायर जलाने से उठने वाली बदबू और धुआं स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। शिकायत पर तत्काल संज्ञान लेते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जांच टीम भेजी। फील्ड अधिकारी योगेश कुमार सहारण और एईई कुशाग्र के नेतृत्व में टीम ने फैक्टरी का निरीक्षण किया, जहां टायर पायरोलिसिस प्रक्रिया से गैसें निकलती हुई मिलीं।
टीम ने पाया कि यूनिट में एयर पॉल्यूशन कंट्रोल डिवाइस को सही तरीके से नहीं लगाया गया था। कच्चे माल के रूप में स्क्रैप टायरों का उपयोग किया जा रहा था, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा था। एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट भी बंद पड़ा था।जांच में यह भी सामने आया कि हाउसकीपिंग बेहद खराब थी और परिसर में ब्लैक कार्बन बिखरा हुआ था।
अधिकारियों का कहना है कि फैक्टरी से निकलने वाली जहरीली गैसें न सिर्फ मानव स्वास्थ्य बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी खतरा हैं। बोर्ड अधिकारियों ने निर्देश दिए कि जब तक सभी खामियों को दूर कर प्रदूषण मानकों के अनुरूप यूनिट तैयार नहीं की जाती, तब तक उत्पादन पूरी तरह बंद रहेगा। स्थानीय ग्रामीणों ने त्वरित कार्रवाई के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आभार जताया है।
