अधिकारी और कर्मचारी डकार गए किसानों की फसलों का मुआवजा!
मदन लाल गर्ग/हप्र
फतेहाबाद, 11 जून
फतेहाबाद में खराब हुई फसलों के मुआवजे में भ्रष्टाचार की परतें लगातार खुल रही हैं। एक के बाद एक गांवो से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिन्हें जान कर लोग हैरान और परेशान है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का नारा देने वाली भाजपा सरकार में अधिकारी और कर्मचारी किस कदर भ्रष्टाचार कर रहे हैं इसकी बानगी फतेहाबाद में देखने को मिल रही है।
एक ओर जहां किसान फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर आये दिन शासन और प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहे हैं, वहीं वे जानते ही नही हैं कि कुछ अधिकारी और कर्मचारी मिलकर उनके हिस्से का मुआवजा डकार चुके हैं।
किसानों की वर्ष 2021 में खराब हुई नरमा, कपास की फसल के मुआवजे की जिले में ऐसी बंदरबांट हुई कि अफसरों ने फर्जी किसान दर्शाकर मुआवजा राशि में करोड़ों का गोलमाल कर दिया। तत्कालीन पटवारी ने तो गड़बड़झाला किया ही, उसके निजी सहायक तो उससे भी आगे निकल गया। सहायक के परिवार को तो चार चार गांवों बड़ोपल, चिन्दड़, खाराखेड़ी व कुम्हारिया में फर्जी किसान दर्शाकर मुआवजा राशि उनके खाते में जारी कर दी। एक बार नहीं, बार-बार उनके खातों में मुआवजा राशि डाली गई। सरकार के नियमानुसार एक किसान को अधिकतम 5 एकड़ का 9, 500 रुपये प्रति एकड़ यानी अधिकतम 47,500 रुपये मुआवजा मिलना था, लेकिन एक ही गांव में एक ही नाम व खाते में तीन-तीन बार मुआवजा राशि ट्रांसफर करवा दी गई।
‘दैनिक ट्रिब्यून’ को कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं, जिनमें साफ पता चलता है कि जिनके नाम जमीन ही नहीं, उनकी भी फसल खराब हो गई। विभागीय सूत्रों से मिली विश्वसनीय जानकारी के अनुसार यदि तहसील फतेहाबाद के सभी 19 गांवों के मुआवजा वितरण की गहनता से किसी ईमानदार अधिकारी से जांच करवाई जाए तो गबन की राशि करोड़ों में पहुंच सकती है।
प्रारंभिक जांच से मिले आंकड़ों के अनुसार गांव खाराखेड़ी में करीब 800 किसानों को मुआवजा वितरण किया गया। जिसमें करीब 90 फर्जी किसान बनाकर उनके खातों में 41 लाख की राशि डाली गई। गांव भोडा होशनाक में करीब 400 किसानों को मुआवजा वितरण दिखाया गया, जिसमें करीब 2 लाख का गबन किया गया।
गांव चिंदड़ के एक हजार किसानो के खाते में मुआवजा राशि ट्रांसफर की गई, जिनमें करीब 20 फर्जी खातों में 9 लाख के लगभग भुगतान अवैध बताया जाता है। इसी प्रकार गांव कुम्हारिया में करीब 800 किसानों के खाते में पेमेंट हुई, जिसमें करीब 40 फर्जी किसान बनाकर 20 लाख के करीब गबन किया गया। यहां यह काबिलेजिक्र है कि उस समय गांव कुम्हारिया, खाराखेड़ी, चिन्दड़ व भोडा होशनाक चारों गांव का चार्ज एक ही पटवारी अजीत के पास था, जो इस समय कानूनगो के पद पर कार्यरत है।
गांव खराखेड़ी की मुआवजा वितरण सूची के क्रमांक संख्या 200 के तहत पटवारी अजीत की पत्नी मूर्ति देवी के खाते में 46273 रुपये, गांव कुम्हारिया की मुआवजा वितरण सूची के क्रमांक संख्या 211 के तहत बेटी प्रियंका के खाते में 45259 रुपये तथा क्रमांक 252 के तहत बेटे अभिषेक के खाते में 46259 रुपये डाले गए। इतना ही नहीं तत्कालीन पटवारी अजीत के निजी सहायक गांव खराखेड़ी के रामनिवास ने भी मुआवजा वितरण में खूब हाथ रंगे। रामनिवास के रिश्तेदारों को तो चारों गांवों के ही किसान दर्शाकर मुआवजा डाला गया।
गांव खाराखेड़ी निवासी रामनिवास के खाते में गांव कुम्हारिया की मुआवजा वितरण सूची के क्रमांक संख्या 76 के तहत 13,300 तथा क्रमांक 427 के तहत 19 हजार रुपये डाले गए। गांव खाराखेड़ी की मुआवजा वितरण सूची के क्रमांक संख्या 423 में भी 38560 रुपये डाले गए।
उसे गांव बड़ोपल का भी किसान बनाकर उसके खाते में क्रमांक 658 के तहत 46300, क्रमांक 1367 व 1608 के तहत 46280, 46280 की राशि डाली गई। इतना ही नहीं सहायक रामनिवास के पिता महाबीर के खाते में गांव बड़ोपल की मुआवजा वितरण सूची क्रमांक संख्या 1193,1364 व 1623 के तहत क्रमशः 42110, 45250, 45250 की राशि डाली गई।
गांव खाराखेड़ी की मुआवजा वितरण सूची क्रमांक संख्या 322व 423 के तहत 47500 व 38560 रुपये की राशि डाली गई। यह फर्जीवाड़ा यही नहीं रुका। सहायक रामनिवास की माता गुड्डी देवी, भाई, फुफेरी बहन, जीजा, मौसा व मौसी के खाते में भी मुआवजा राशि डाली गई।
प्राप्त जानकारी अनुसार सहायक रामनिवास के परिवार के पास गांव खाराखेड़ी में करीब साढ़े नौ एकड़ जमीन है अन्य किसी गांव में कोई जमीन नहीं है। जबकि रामनिवास के परिवार को फसल खराबे का मुआवजा चारों गांवों में मिला। चारों गांवों में ऐसे सैकड़ों फर्जी किसान मिले हैं, जिनके नाम एपीआर में नहीं हैं। उन्हें फर्जी किसान दिखाकर मुआवजा दे दिया। एपीआर वह होती हैं, जिसमें पूरी जमीन व खराबे का जिक्र होता है।
पहले ही दर्ज हुआ मुकदमा
गांव बड़ोपल के मुआवजा वितरण घोटाले में गत 31 मई को मामला दर्ज हो चुका है, जिसमें तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पांच कानूनगो, पटवारी सहित 27लोगों को आरोपी बनाया गया है।
निजी सहायक रखने पर रोक
सरकार द्वारा जारी पत्र के अनुसार किसी पटवारी को निजी सहायक रखने की अनुमति नहीं है। धरातल पर स्थिति बिल्कुल विपरीत है। किसी पटवारी का निजी सहायक के बिना काम ही नहीं चलता, क्योंकि एक-एक पटवारी को 4 से 5 पटवार सर्किल का कार्य करना पड़ता है। जिले में 161 पटवार सर्किल हैं, जबकि पटवारी मात्र 50 हैं। ऐसे में निजी सहायक रखना मजबूरी है। जाहिर है ऐसे में पटवारी उसको वेतन अपनी जेब से तो देने से रहा। उसके वेतन की वसूली कार्य के लिए आने वाले लोगों से ही होती है।