पेड़ों की अवैध कटाई और मिट्टी बिक्री पर एनजीटी सख्त, हरियाणा सरकार से मांगा जवाब
कादमा गांव के सरपंच पर लगे आरोप, अदालत ने समिति रिपोर्ट को बताया ‘अस्पष्ट और अधूरी’
जिले के कादमा गांव में पेड़ों की अवैध कटाई और मिट्टी की बिक्री के आरोपों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाते हुए हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने हरियाणा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, चरखी दादरी के वन अधिकारी और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए एक महीने के भीतर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामले में कादमा ग्राम पंचायत के सरपंच पर आरोप लगाए गए हैं। शिकायतकर्ता महेंद्र सिंह ने एनजीटी को बताया कि गांव में बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई की गई है और मिट्टी की बिक्री की जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शिकायत वापस लेने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है।
इस पर एनजीटी ने चरखी दादरी के पुलिस अधीक्षक को जांच के आदेश दिए हैं और शिकायतकर्ता को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश भी जारी किए हैं। एनजीटी ने इस मामले में गठित संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि समिति की रिपोर्ट अधूरी, अस्पष्ट और तथ्यों से रहित है।
एनजीटी ने टिप्पणी की कि समिति ने आवेदक की शिकायतों से जुड़े सभी पहलुओं की सही तरीके से जांच नहीं की और न ही अपने निष्कर्ष स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किए हैं। अदालत ने समिति को निर्देश दिया है कि वह दोबारा जांच करे और स्पष्ट निष्कर्षों सहित अतिरिक्त रिपोर्ट दाखिल करे। साथ ही जांच स्थलों के ड्रोन वीडियो भी रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत करने को कहा गया है।
वहीं, गांव कादमा की सरपंच चांदपति के पति एवं सरपंच प्रतिनिधि महेश फौजी ने आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि न तो पेड़ों की अवैध कटाई हुई है और न ही मिट्टी उठाई गई है। उन्होंने कहा कि कई विभागों ने पहले ही जांच की है और एनजीटी में साक्ष्यों सहित जवाब पेश किया जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी सुनील श्योराण ने बताया कि नोटिस मिलने के बाद नियमानुसार जवाब दाखिल किया जाएगा।
