हादसे में घायल की नहीं काटी एमएलसी, खा रहे धक्के
जींद, 12 जुलाई (हप्र)
शहर के रोहतक रोड पर शुक्रवार को हुए सड़क हादसे ने जितना दर्द रोहतक जिले के अटायल गांव के मोनू के परिजनों को दिया, उससे ज्यादा दर्द जींद के सिविल अस्पताल के सिस्टम ने दिया है। अस्पताल के इस सिस्टम के खिलाफ परिजनों ने स्वास्थ्य मंत्री और विभाग के आला अधिकारियों को शिकायत की है।शुक्रवार दो बाइकों की टक्कर में रोहतक जिले के अटायल गांव का मोनू घायल हो गया था। राह चलते लोगों ने उसे जींद के सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया। बाद में उसे पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया था। परिजन पीजीआई पहुंचे। वहां उन्होंने मोनू के घायल होने की एमएलसी काटने की बात पीजीआई चिकित्सकों से कही, तो चिकित्सकों ने कहा कि चूंकि मोनू को जींद के सिविल अस्पताल से पीजीआई रेफर किया गया है, लिहाजा उसकी एमएलसी जींद के सिविल अस्पताल में कटेगी। परिजन शनिवार को जींद सिविल अस्पताल पहुंचे। उन्होंने डॉ. संदीप से मोनू की एमएलसी काटने की बात कही तो उन्हें बताया गया कि मोनू को जो लोग सिविल अस्पताल लाए थे, उन्होंने लिखकर दे दिया था कि वह कोई पुलिस केस नहीं करना चाहते। इसलिए एमएलसी नहीं काटी गई। जब उन्होंने एमएलसी काटने की बात कही तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि मोनू को वापस अस्पताल लाया जाए, तब एमएलसी कटेगी और वह भी 12 जुलाई की तारीख में कटेगी। मोनू के भाई जोगेंद्र ने कहा कि जींद के सिविल अस्पताल प्रशासन ने उनके साथ धोखा किया है। सिविल अस्पताल में मोनू को लाया गया तो वह बेहोश था। किसी राह चलते व्यक्ति से डॉक्टर ने लिखवा लिया कि एमएलसी नहीं करवानी। जोगेंद्र ने कहा कि उन्होंने मामले की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री आरती राव और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को करते हुए सिविल अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में तैनात संबंधित चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ राजेश भोला से उनका फोन स्विच ऑफ होने के कारण संपर्क नहीं हो पाया।