माजरा दूबलधन का स्टेडियम तालाब में तबदील
माजरा दूबलन गांव का स्टेडियम आवारा पशुओं, जलीय घास व जलभराव से परेशान हैं। पांच एकड़ में जर्जर चारदीवारी से घिरे स्टेडियम में मंच व दो कमरों का भवन बेहद दयनीय हालत में खड़ा है। स्टेडियम खेल सुविधाओं के नाम...
माजरा दूबलन गांव का स्टेडियम आवारा पशुओं, जलीय घास व जलभराव से परेशान हैं। पांच एकड़ में जर्जर चारदीवारी से घिरे स्टेडियम में मंच व दो कमरों का भवन बेहद दयनीय हालत में खड़ा है। स्टेडियम खेल सुविधाओं के नाम पर बदनसीब ही रहा है। 25 साल बाद भी यह स्टेडियम जोहड़नुमा दलदली झील बनकर रह गया है। काबली कीकर, जलखुंभी व अन्य जलीय खरपतवार ने स्टेडियम पर डेरा जमा रखा है। जहां तक गांव की खेल उपलब्धियां की बात है, यहां के पहलवान सत्यवान और सत्यव्रत ने एशियाड व ओलंपिक में धूम मचाई और उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा गया। गांव की बहू साक्षी मलिक ने पद्मश्री, ध्यानचंद खेलरत्न व महिला कुश्ती का पहला पदक देश की झोली में डाला था। यहां युवाओं को सड़कों पर अभ्यास करना पड़ता है। कई बार अभ्यास करते-करते युवा चोट भी खा चुके हैं। स्टेडियम जलभराव की मार झेल रहा है और अपनी बदहाली पर खून के आंसू बहा रहा है। गांव में खेलने, सैर करने व टहलने की कोई जगह नहीं है। युवाओं की प्रतिभा बिना किसी निखार के कुंठित होकर मर रही है। हरियाणा सरकार ने ओलिंपिक खिलाड़ियों के गांव में खेल स्टेडियम की सुविधा देने का ऐलान किया था, परंतु इस स्टेडियम के काले दिन समाप्त नहीं हुए। स्टेडियम पर खिलाड़ी नहीं बल्कि आवारा पशुओं का बसेरा है। खेल स्टेडियम से जल निकासी का कोई प्रावधान नहीं किया है। डॉ़ दयानंद कादयान का कहना है कि खेल स्टेडियम के सुधार के लिए कई बार सीएम विंडो व ईमेल के माध्यम से गुहार लगाई जा चुकी है। स्टेडियम यदि ठीक रहता तो इस गांव में ओलंपियन पहलवानों की संख्या बढ़ सकती है।
पूर्व जिला पार्षद जयभगवान का कहना है कि माजरा खेल व शिक्षा के क्षेत्र अग्रणी रहा है। यहां पर स्टेडियम की दयनीय हालत ओलंपिक मिशन के प्रति सरकार की सोच पर सवालिया निशान लग रही है। ग्रामीणों की मांग है कि स्टेडियम में भरत करके इसे आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जाए तथा यहां पर योग, वैलनेस केंद्र और कुश्ती व कबड्डी की विंग भी लाई जाए।