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संगठन न होने से ही कांग्रेस काे विधानसभा चुनाव में करना पड़ा हार का सामना : बृजेंद्र सिंह

बोले- समाज में सद्भाव व भाईचारा बनाए रखने के लिए शुरू की गई यह यात्रा

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रोहतक में सदभाव यात्रा के दौरान मंच पर उपस्थित पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह। -निस
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पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता बृजेंद्र सिंह ने कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य समाज में सद्भाव और भाईचारा बनाए रखना है, न कि वोट बटोरना या कोई राजनीतिक पद हासिल करना। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि वे राजनीति में हैं और राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखते हैं, लेकिन हर चीज का समय होता है।

बृजेंद्र सिंह ने कहा कि भाजपा की समाज को बांटने की राजनीति को उजागर करने और समाज में एकजुटता बनाए रखने के लिए यह यात्रा शुरू की गई है। बुधवार को यह यात्रा महम के गांव बहुजमालपुर में पहुंची, जहां ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया। इस दौरान पूर्व सांसद ने स्वीकार किया कि वर्ष 2024 में कांग्रेस के संगठन की कमी के कारण विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

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उन्होंने बताया कि चुनाव के समय संगठन के नाम पर केवल नेता और उनके समर्थक ही थे। जिन नेताओं को टिकट नहीं मिली, उनमें से कुछ घर बैठ गए, कुछ ने पार्टी प्रत्याशियों का विरोध किया, जबकि कुछ ने चुनाव लड़ा, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ। उन्होंने वोट चोरी का मुद्दा भी उठाया और चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े किए।

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बृजेंद्र सिंह ने कहा कि किसान मसीहा छोटूराम का वशंज होने के नाते उन्हें अपनापन महसूस हुआ, सद्भाव का सही मायने में प्रतीक छोटूराम ही थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जातियों के आधार पर राजनीति की जा रही है, लेकिन छोटूराम ने हमेशा भाईचारे और सद्भाव का संदेश दिया। यात्रा बहुअकबरपुर, मोखरा और खरकड़ा गांवों में भी पहुंची।

कांग्रेस ही कर सकती है भाजपा का मुकाबला

पूर्व सांसद ने कहा कि कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जो भाजपा का मुकाबला कर सकती है। उन्होंने अन्य पार्टियों के नेताओं को भाजपा की कठपुतली करार दिया और कहा कि भाजपा ने 11 साल पहले राष्ट्रवाद के नाम पर केवल समाज में विभाजन पैदा करने का प्रयास किया। उन्होंने बेरोजगारी को वर्तमान समय का सबसे बड़ा मुद्दा बताया और कहा कि सरकार ने इसे दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

बिना पर्ची-बिना खर्ची के नाम पर सिर्फ दिखावा

बृजेंद्र सिंह ने बिना पर्ची और बिना खर्ची के दिखावे की राजनीति पर भी सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि पंचकूला में एक दिन के कार्यक्रम में युवाओं को नौकरी देने के नाम पर प्रचार किया जाता है, जबकि वास्तव में हरियाणा में कांस्टेबल के 40 प्रतिशत और शिक्षकों के 56 प्रतिशत पद खाली हैं। इसके अलावा, 47 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल तक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास सरकारी स्कूल बंद कर प्राइवेट स्कूल को बढ़ावा देना है। पूर्व सांसद ने खेल और शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार की उदासीनता को उजागर किया।

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