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कपास आयात शुल्क हटाने के फैसले पर किसान सभा का विरोध

कहा-बर्बादी की कगार पर पहुंचेंगे किसान
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अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा राज्य कमेटी ने केंद्र सरकार द्वारा कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क समाप्त करने के निर्णय को किसान विरोधी करार दिया है। राज्य प्रधान बलबीर सिंह और महासचिव सुमित दलाल ने आरोप लगाया कि यह कदम विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया गया है, जबकि इसका सीधा नुकसान देश के कपास उत्पादकों को झेलना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि विदेशी कपास सस्ते दामों पर बाजार में आने से घरेलू कीमतें धराशायी होंगी और किसान पहले से गहरे संकट में और कर्जदार बनेंगे।

किसान नेताओं ने कहा कि कपास किसानों को लंबे समय से लागत (सी2) + 50 प्रतिशत फार्मूले के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल रहा। इस वर्ष घोषित एमएसपी 7,710 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि वास्तविक हिसाब से यह 10,075 रुपये होना चाहिए था। इस तरह किसानों को प्रति क्विंटल 2,365 रुपये का सीधा घाटा उठाना पड़ रहा है।

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हरियाणा में लगभग 4.76 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती होती है, लेकिन नीतिगत उपेक्षा और समर्थन न मिलने से रकबा घटकर 31 प्रतिशत कम रह गया है। किसान सभा ने सरकार से मांग की है कि आयात शुल्क हटाने की अधिसूचना तत्काल वापस ली जाए और कपास का एमएसपी सी2+50 प्रतिशत फार्मूले के अनुसार तय किया जाए।

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