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तीन महीनों में तीसरी बार स्थगित हुई जींद जिला परिषद की विशेष बैठक

जसमेर मलिक/हप्र जींद, 11 फरवरी जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ विरोधी गुट द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए मंगलवार को बुलाई गई विशेष बैठक फिर स्थगित कर दी गई। इस बार कारण यह बताया गया...
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जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा एवं उनके पति कुलदीप रंधावा। -हप्र
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जसमेर मलिक/हप्र

जींद, 11 फरवरी

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जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ विरोधी गुट द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए मंगलवार को बुलाई गई विशेष बैठक फिर स्थगित कर दी गई। इस बार कारण यह बताया गया कि प्रदेश के मुख्य सचिव ने उपायुक्तों की बैठक बुलाई हुई है, जिसमें जाना डीसी मोहम्मद इमरान रजा के लिए अनिवार्य था। चेयरपर्सन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए जिला परिषद की विशेष बैठक तीसरी बार स्थगित हुई है।

हालात ऐसे थे कि मंगलवार को भी जिला परिषद की विशेष बैठक होती, तो चेयरपर्सन के खिलाफ विरोधी गुट के अविश्वास प्रस्ताव का गिरना निश्चित था, क्योंकि चेयरपर्सन मनीषा रंधावा और उनके पति कुलदीप रंधावा ने अपने साथ जिला परिषद के 25 में से 13 पार्षदों का समर्थन होने का दावा बैठक स्थगित होने से पहले भी और बाद में भी किया।

मनीषा रंधावा ने कहा कि जिला परिषद की बैठक नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। वह पूरी तैयारी के साथ बैठक में भाग लेने के लिए आई थीं, लेकिन बैठक स्थगित हो गई।

कल हाई कोर्ट में फिर होनी है सुनवाई

जिला परिषद की विशेष बैठक की तारीख निर्धारित कर और अंतिम क्षणों में बैठक स्थगित किए जाने को चेयरपर्सन मनीषा रंधावा ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई है। उनकी याचिका पर बृहस्पतिवार को फिर सुनवाई होनी है। अब सभी की नजर हाईकोर्ट में बृहस्पतिवार को होने वाली सुनवाई पर लग गई हैं। हाईकोर्ट ही अब विशेष बैठक की तारीख निर्धारित करेगा और हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित की जाने वाली तारीख पर ही बैठक हर हाल में करनी होगी।

विरोधी गुट को दिया जा रहा समय!

सूत्रों के अनुसार जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा को चेयरपर्सन की कुर्सी से हटाने की मुहिम में लगे उनके विरोधियों को दो- तिहाई पार्षदों का समर्थन जुटाने के लिए पूरा समय दिया जा रहा है। तीन महीने में लगातार तीन विशेष बैठक स्थापित होना इसकी तरफ साफ संकेत कर रहा है, कि ऊपर के इशारे पर सारा खेल हो रहा है। इसके बावजूद विरोधियों की बात नहीं बन पा रही। अब तक तीनों बैठकों में किसी में भी विरोधी गुट अविश्वास प्रस्ताव पारित करवाने की स्थिति में नहीं था, जबकि चेयरपर्सन मनीषा रंधावा हर बार अपनी स्थिति को लगातार मजबूत बनाए रखने में कामयाब रही हैं। विरोधी गुट को इतना समय नहीं दिया गया होता, तो चेयरपर्सन के खिलाफ लाया गया उसका अविश्वास प्रस्ताव कब का गिर गया होता, और मनीषा रंधावा की कुर्सी एक और साल के लिए पक्की हो चुकी होती।

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