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जींद बना फिर राजनीतिक यात्राओं का केंद्र, बृजेंद्र सिंह ने बढ़ाया सिलसिला आगे

हरियाणा की राजनीति में जींद का नाम हमेशा से आंदोलनों और राजनीतिक यात्राओं के केंद्र के रूप में दर्ज रहा है। इसी परंपरा को अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने आगे बढ़ाया है।...
जींद के दनोदा गांव में पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह की सद्भाव यात्रा में उमड़ी लोगों की भारी भीड़। हप्र
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हरियाणा की राजनीति में जींद का नाम हमेशा से आंदोलनों और राजनीतिक यात्राओं के केंद्र के रूप में दर्ज रहा है। इसी परंपरा को अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने आगे बढ़ाया है। उन्होंने रविवार को जींद जिले के दनोदा कलां गांव से अपनी सद्भाव यात्रा की शुरुआत की।

बिनायन खाप के ऐतिहासिक चबूतरे से शुरू हुई इस यात्रा में क्षेत्र के हजारों लोगों, खासकर युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हरियाणा के भौगोलिक मध्य में स्थित जींद की राजनीतिक तासीर हमेशा से प्रखर रही है। यहां से कई ऐसे आंदोलन और यात्राएं शुरू हुईं, जिन्होंने न केवल प्रदेश बल्कि देश की राजनीति में भी अपनी गूंज छोड़ी।

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23 मार्च 1986 को चौधरी देवीलाल ने जींद की धरती पर आयोजित समस्त हरियाणा सम्मेलन के माध्यम से प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। यह रैली हरियाणा के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक रैली मानी जाती है। इसी सम्मेलन से निकले लोकदल के आंदोलन ने 1987 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त दी और चौधरी देवीलाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

इसके बाद वे 1989 में देश के उप प्रधानमंत्री बने। देवीलाल के बाद चौधरी बंसीलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे नेताओं ने भी जींद की धरती से सत्ता परिवर्तन के आंदोलन चलाए।

भूपेंद्र हुड्डा ने जींद से की थी दिल्ली तक की पदयात्रा

हुड्डा ने अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा आंदोलन तब किया, जब प्रदेश में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो सरकार थी। उस समय जींद के कंडेला गांव में बड़ा किसान आंदोलन हुआ था। इस दौरान गुलकनी गांव में पुलिस फायरिंग में सात किसानों की मौत हो गई थी। इस घटना के विरोध में कांग्रेस ने जींद में बड़ा धरना दिया और भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में जींद से दिल्ली तक पदयात्रा निकाली गई।

इसी यात्रा ने 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता में वापसी का मार्ग प्रशस्त किया, जब हुड्डा मुख्यमंत्री बने। उनसे पहले वर्ष 1997 में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ने भी जींद में हरियाणा गण परिषद का गठन किया था, जब उनके तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल से मतभेद हुए। कर्मचारी आंदोलनों के लिहाज से भी जींद हमेशा केंद्र में रहा है। यहां से राज्यस्तरीय कई बड़े कर्मचारी आंदोलन शुरू होकर पूरे प्रदेश में फैले।

अब बृजेंद्र सिंह ने सिलसिले को बढ़ाया आगे

अब इस ऐतिहासिक सिलसिले को बृजेंद्र सिंह ने आगे बढ़ाया है। रविवार को शुरू हुई उनकी सद्भाव यात्रा को लेकर प्रदेशभर में राजनीतिक चर्चा तेज हो गई है। जींद जिले के दनोदा कलां गांव से शुरू हुई इस यात्रा को प्रदेश में नई राजनीतिक शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।

बृजेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य प्रदेश में सद्भाव, एकता और जनसंवाद को मजबूत करना है। यात्रा के पहले दिन जिस तरह लोगों की भीड़ उमड़ी, उससे यह साफ है कि प्रदेश में कांग्रेस की गतिविधियां एक बार फिर तेज हो रही हैं।

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