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डीजी हेल्थ के होमवर्क चेक में जींद का स्वास्थ्य विभाग फेल, सुधरने की चेतावनी

दूसरे जिलों से ज्यादा एलटी और स्टाफ नर्स, मगर काम सबसे खराब
जींद में शनिवार रात स्वास्थ्य विभाग के काम की मॉनिटरिंग करते डीजी हेल्थ। -हप्र
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स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक डॉ. मनीष बंसल ने शनिवार देर रात तक जींद में स्वास्थ्य विभाग का होमवर्क चेक किया, तो इसमें कई मामलों में जींद का स्वास्थ्य विभाग फेल हो गया। जींद के स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा बुरी हालत फील्ड के एलटी और सिविल अस्पताल से लेकर एनसीडी और फील्ड की स्टाफ नर्स की है। फील्ड के एलटी मरीज के टेस्ट नहीं करते, और स्टाफ नर्स को अपनी ड्यूटी का पता नहीं।

जींद में स्वास्थ्य विभाग की 20 लोगों की टीमों में तीन दिन तक पीएचसी, सीएचसी और जींद के सिविल अस्पताल के कामकाज को पैनी नजरों से परखा। रिपोर्ट शनिवार को स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक डॉ मनीष बंसल के सामने जींद के एक निजी होटल में रखी गई। इस बैठक में जींद की सिविल सर्जन डॉ. सुमन कोहली से लेकर सभी सीएससी और पीएचसी प्रभारी तथा डिप्टी सिविल सर्जन और अस्पताल के अधिकारी मौजूद रहे। उनकी मौजूदगी में स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक डॉ मनीष बंसल ने यूं तो जींद के स्वास्थ्य विभाग के कामकाज में सेंकड़ों खामियां निकाल दी, मगर सबसे बड़ी खामी फील्ड के एलटी और नर्सिंग स्टाफ अमले की मिली। मेडिकल ऑफिसरों के काम से भी स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक बेहद नाराज नजर आए।

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प्लाज्मा केवल कॉर्पोरेट के लिए नहीं

nमहानिदेशक ने समीक्षा करते हुए इस बात पर हैरानी जताई कि ब्लड बैंक में ब्लड से जो प्लाज्मा अलग किया जाता है, वह केवल दो कॉर्पोरेट घरानों को जाता है। किसी भी आम आदमी को प्लाज्मा नहीं दिया जा रहा। इसे स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक ने गंभीर चूक बताते हुए कहा कि आम आदमी को प्लाज्मा दिया जाए।

डीजी हेल्थ ने की जमकर खिंचाई

महानिदेशक ने बैठक में जींद के स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों की जमकर खिंचाई की। सिविल अस्पताल में फायर फाइटिंग की व्यवस्था नहीं होने से लेकर दवाओं की भारी कमी, अस्पताल की नई बिल्डिंग में छतों से पानी के रिसाव, सिविल अस्पताल के रेफरल सेंटर बना दिए जाने, गर्भवती महिलाओं को फील्ड में आयरन के इंजेक्शन नहीं दिए जाने, सिविल अस्पताल में आयुष्मान के हजारों कार्ड सीढ़ियों पर मिलने, आयुष्मान एडमिशन बेहद पूअर होने को लेकर डॉ मनीष बंसल ने सिविल सर्जन से लेकर संबंधित अधिकारियों की खूब खिंचाई की। डीजी हेल्थ ने यहां तक कहा कि ऐसी स्थिति पर अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए।

आशा वर्करों के साथ नहीं कोई को-ऑर्डिनेशन

स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक डॉ मनीष बंसल ने बैठक में कहा कि एनसीडी का को-ऑर्डिनेशन आशा वर्करों के साथ होना चाहिए। हैरानी की बात है कि फील्ड में तैनात मेडिकल ऑफिसरों से लेकर एनसीडी में काम कर रहे स्टाफ को जिला आशा को-ऑर्डिनेटर शीला के नाम का ही पता नहीं। उनके साथ को-ऑर्डिनेशन तो दूर की बात है। एनसीडी में तैनात स्टाफ नर्स अपना काम सही तरीके से नहीं कर रही। इसी तरह फील्ड में तैनात मेडिकल अफसर भी कोई काम नहीं कर रहे हैं। मेडिकल ऑफिसर्स को पिंक की गोलियां किसे दी जाती हैं, इसकी भी जानकारी नहीं है, जो शर्म की बात है।

21 लैब टेक्नीशियन की ज्यादा नियुक्ति

डीजी हेल्थ डॉ मनीष बंसल ने कहा कि जींद में दूसरे जिलों के मुकाबले लगभग 21 लैब टेक्नीशियन की ज्यादा नियुक्ति है। इसके बावजूद फील्ड में तैनात एलटी स्लाइड पर कोई भी टेस्ट नहीं करते। टेस्ट करते हैं तो केवल स्ट्रिप पर रैपिड प्रणाली से। यह सरासर गलत है। डीजी हेल्थ ने जींद में तैनात स्टाफ नर्स के कामकाज पर भी गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि स्टाफ नर्स को अपनी ड्युटियों का ही पता नहीं। बैठक में स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशक ने जींद में दवाओं की भारी कमी को गंभीरता से लिया। उन्होंने इस सिलसिले में दो फार्मासिस्टों के खिलाफ निलंबन जैसी कार्रवाई की बात कही।

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