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‘मूक-बधिर जन को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने में अहम है अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा’

रोहतक, 24 सितंबर (हप्र) अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा एक समावेशी संचार है। आज जरूरत है कि जल्द से जल्द हम सांकेतिक भाषा भी सीखें। यह उद्गार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा ने आज सेंटर फॉर डिसएबिलिटी स्टडीज...
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रोहतक, 24 सितंबर (हप्र)

अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा एक समावेशी संचार है। आज जरूरत है कि जल्द से जल्द हम सांकेतिक भाषा भी सीखें। यह उद्गार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा ने आज सेंटर फॉर डिसएबिलिटी स्टडीज (सीडीएस) तथा चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के आईएचटीएम कांफ्रेंस हॉल में इनक्लूसिविटी एट एमडीयू कैंपस सेलिब्रेट विषयक कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए। कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा ने बतौर मुख्यातिथि दीप प्रज्वलित कर अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रो.तनेजा ने अपने संबोधन में अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस बारे जानकारी देते हुए सांकेतिक भाषा की विकास यात्रा से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा मूक-बधिर जन को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने में अहम है। सीडीएस इंचार्ज डा. प्रतिमा देवी ने प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया।

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