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अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस : बालिकाओं को माहवारी के डर से उबारा बीबीपुर की नंदिनी ने, स्कर्ट पर बैन का किया विरोध

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस : पिता सेल्फी विद डॉटर अभियान के प्रणेता, बीबीपुर के पूर्व सरपंच ने बेटियों को लिखा प्रेरणादायक पत्र बीबीपुर गांव की बालिका नंदिनी जागलान ने अपने साहस, संवेदनशीलता और जागरूकता से समाज में बेटियों के अधिकारों...

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जींद की बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान अपनी बेटियों नंदिनी और याचिका के साथ। हप्र
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अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस : पिता सेल्फी विद डॉटर अभियान के प्रणेता, बीबीपुर के पूर्व सरपंच ने बेटियों को लिखा प्रेरणादायक पत्र

बीबीपुर गांव की बालिका नंदिनी जागलान ने अपने साहस, संवेदनशीलता और जागरूकता से समाज में बेटियों के अधिकारों की एक नई मिसाल कायम की है। नंदिनी ने पीरियड चार्ट के माध्यम से माहवारी से जुड़े डर और झिझक को दूर करने का अभियान चलाया, जिससे कई बालिकाएं स्वास्थ्य व स्वच्छता के प्रति जागरूक हुईं।

इसके साथ ही, जब स्कूल प्रबंधन ने कक्षा 9वीं की छात्राओं के लिए स्कर्ट पहनने पर रोक लगाई तब नंदिनी ने न केवल इसका विरोध किया, बल्कि स्कर्ट पहनकर स्कूल पहुंचकर अपनी आवाज बुलंद की और लैंगिक समानता की मिसाल पेश की। उसकी इस पहल पर पिता प्रोफेसर सुनील जागलान, जो ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान के प्रणेता और बीबीपुर के पूर्व सरपंच हैं, ने गर्व जताया।

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उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर अपनी दोनों बेटियों नंदिनी और याचिका को एक प्रेरणादायक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने कहा कि यह केवल उनकी बेटियों के लिए नहीं, बल्कि हर उस पिता और बेटी के लिए है जो समानता और सम्मान पर आधारित समाज का सपना देखते हैं।

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पत्र में प्रो. जागलान ने लिखा, ‘मेरी प्यारी बेटियों, तुम दोनों मेरे जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा हो। नंदिनी, तुमने मेरे भीतर की पितृसत्तात्मक सोच को तोड़ा और मुझे बेहतर इंसान बनने की राह दिखाई। याचिका, तुम मेरा अंतिम प्यार हो, जो हर दिन मेरे जीवन को रोशन करती हो।’ उन्होंने अपनी बेटियों से कहा कि आज का युग अवसरों और चुनौतियों से भरा है, इसलिए उन्हें इंटरनेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सही उपयोग कर अपनी क्षमताओं को निखारना चाहिए।

प्रो. जागलान ने बेटियों को सलाह दी कि वे लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा और अधिकारों पर जागरूक रहें। विटामिन डी की कमी, एनीमिया और मानसिक स्वास्थ्य जैसे विषयों पर बात करना जरूरी है। उन्होंने अपनी बेटी याचिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह बचपन से ही सामाजिक अभियानों में सक्रिय रही है और कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों पर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक करती रही है।

उन्होंने बेटियों को यह भी संदेश दिया कि वे ईमानदारी, करुणा और मेहनत को जीवन का हिस्सा बनाएं, नई भाषाएँ सीखें और अपने स्वास्थ्य व मानसिक संतुलन पर ध्यान दें। प्रो सुनील जागलान कहते हैं कि उनका यह पत्र केवल उनकी अपनी दो बेटियों के लिए नहीं होकर हर उस पिता और बेटी के लिए है, जो एक बेहतर समाज का सपना देखते हैं।

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