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गोकलगढ़ के प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का उद्घाटन, ग्रामीण भावुक

मंदिर में रानी जस्सी के बलिदान की दर्दनाक घटना भी इतिहास में दर्ज जिले के ऐतिहासिक गांव गोकलगढ़ में आक्रमणकारियों द्वारा खंडित किए गए प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद शुक्रवार को ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजे...

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रेवाड़ी के गांव गोकलगढ़ के मंदिर से कलश यात्रा का शुभारंभ करते हुए प्रो. महावीर सिंह यादव। -हप्र
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मंदिर में रानी जस्सी के बलिदान की दर्दनाक घटना भी इतिहास में दर्ज

जिले के ऐतिहासिक गांव गोकलगढ़ में आक्रमणकारियों द्वारा खंडित किए गए प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद शुक्रवार को ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजे के साथ इसका शुभारंभ किया गया। उद्घाटन का गौरव इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. महावीर सिंह यादव को प्राप्त हुआ।

ग्रामीणों ने उनका फूलमालाओं से स्वागत किया और मंदिर के पुनः संचालन से पूरे गांव में दीवाली जैसा उत्सव सा माहौल बन गया। मंदिर के उद्घाटन अवसर पर गांव की महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली और हवन यज्ञ का आयोजन भी किया। ग्रामीण इस अवसर पर अपने दिवंगत राजा और रानी को याद कर भावुक हो गए।

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उद‍्घाटनकर्ता प्रो. महावीर सिंह यादव ने गांव और मंदिर की ऐतिहासिकता को साझा करते हुए बताया कि क्षेत्र के राजा मित्रसेन के शासनकाल में गोकलगढ़ उनकी राजधानी थी। राजा के निधन के बाद उनकी पत्नी रानी जस्सी ने किले की कमान संभाली और दिन-रात अपने पति की तलवार लेकर सैनिकों को दिशा-निर्देश देती रहीं। लेकिन राजा के छोटे भाई मोजीराम को यह बर्दाश्त नहीं हुआ।

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उसने कमान संभालने के लिए रानी जस्सी से तलवार मांगी, जिसे रानी ने साफ मना कर दिया। इसके परिणामस्वरूप मोजीराम ने मुरली मनोहर मंदिर में पूजा कर रही रानी जस्सी का सिर काट दिया, जिससे गोकलगढ़ किले और विशाल अहीर राज का पतन हुआ। मौके का लाभ उठाकर आक्रमणकारियों ने मंदिर को खंडित कर दिया।

प्रो. महावीर सिंह ने बताया कि मंदिर के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए गांव में सभा का आयोजन किया गया और ट्रस्ट ‘मूर्ति मुरली मनोहर मंदिर गोमती वाला’ की स्थापना की गई। ट्रस्ट के प्रधान मनीराम यादव के नेतृत्व में 11 सदस्यीय टीम ने मंदिर के पुनर्निमाण की जिम्मेदारी संभाली। उद्घाटन समारोह के दौरान ग्रामीणों ने ऐतिहासिक और धार्मिक गौरव को याद करते हुए भावनाओं का प्रदर्शन किया।

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