दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी), मुरथल में कार्यकारी परिषद (ईसी) के गठन को लेकर उठे सवाल थमने का नाम नहीं ले रहे। शिक्षक व कर्मचारी संघ का आरोप है कि विवि प्रशासन लगातार अधिनियम की अनदेखी कर रहा है और डीन सदस्यों के नामांकन में नियमों की खुली अवहेलना हो रही है।
संघ का कहना है कि एक जुलाई 2024 को जारी अपने ही पत्र में विवि ने डीन नामांकन प्रक्रिया को लेकर नीति की अस्पष्टता स्वीकार की थी। इसके बाद तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया कि अधिनियम में प्रावधान पूरी तरह स्पष्ट हैं और इन्हीं के आधार पर ईसी का गठन होना चाहिए। कुलाधिपति (राज्यपाल) ने भी दिसंबर 2024 में इस मुद्दे को परिषद बैठक में चर्चा के लिए लाने के निर्देश दिए थे, लेकिन रजिस्ट्रार ने न तो इसे ठीक से प्रस्तुत किया और न ही अनुपालन सुनिश्चित हुआ।
सरकार की ओर से गठित जांच समिति ने पाया कि कुलपति द्वारा किए गए नामांकन अधिनियम के अनुरूप नहीं थे। निदेशक तकनीकी शिक्षा ने 17 मार्च 2025 को लिखित आदेश जारी कर अधिनियम का अक्षरश: पालन करने को कहा था, लेकिन उस पर भी कार्रवाई नहीं हुई।
मामला अदालत तक पहुंचा। हाईकोर्ट ने 21 अगस्त 2025 को सुनवाई करते हुए तीन माह में निर्णय लेने का आदेश दिया। प्रभावित डीन सदस्यों का कहना है कि अधिनियम के मुताबिक चयन रोटेशन से होना चाहिए, ताकि सभी संकायों को समान प्रतिनिधित्व मिले। लेकिन मौजूदा कुलपति बार-बार उन्हीं नामों को आगे कर रहे हैं, जिससे योग्य डीन वंचित हो रहे हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमजोर पड़ रही है।
पारदर्शिता की मांग
डीक्रूटा एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने कहा कि कार्यकारी परिषद तभी वैध मानी जाएगी जब उसका गठन अधिनियम के अनुरूप होगा। उन्होंने दोहराया कि संघ की मांग केवल पारदर्शिता और लोकतांत्रिक परंपरा की बहाली की है और इस संबंध में न्यायपालिका व कुलाधिपति पर पूर्ण भरोसा है।