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एचएसएलएसए के सदस्य सचिव ने भिवानी डीएलएसए का किया निरीक्षण, कार्यप्रणाली सुधार के निर्देश

हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण(एचएसएलएसए) के सदस्य सचिव जगदीप सिंह ने शुक्रवार को जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) भिवानी में औचक निरीक्षण किया और विभागीय कार्यशैली की गहन समीक्षा की। निरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि आम नागरिकों,...
भिवानी में अधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव जगदीप सिंह। -हप्र
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हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण(एचएसएलएसए) के सदस्य सचिव जगदीप सिंह ने शुक्रवार को जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) भिवानी में औचक निरीक्षण किया और विभागीय कार्यशैली की गहन समीक्षा की। निरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि आम नागरिकों, विशेष रूप से समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को नि:शुल्क एवं तीव्र विधिक सहायता समयबद्ध ढंग से मिल रही है या नहीं। इस अवसर पर सदस्य सचिव ने परिसर में पौधारोपण भी किया।

निरीक्षण के दौरान उन्होंने कार्यालय के विभिन्न अनुभागों का दौरा किया और फाइल रिकॉर्ड, कार्य निष्पादन की स्थिति तथा शिकायत निवारण प्रक्रिया की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से संवाद कर वर्तमान कार्य प्रणाली, चुनौतियों और सुधार के सुझावों पर चर्चा की।

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सदस्य सचिव जगदीप सिंह ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहली जिम्मेदारी समाज के कमजोर, आर्थिक रूप से पिछड़े और वंचित वर्गों को नि:शुल्क एवं प्रभावी विधिक सहायता उपलब्ध कराना है। जनता का विश्वास ही विधिक सेवाओं की रीढ़ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने फाइल निपटान की धीमी गति, लंबित प्रकरणों, रिकॉर्ड प्रबंधन तथा कानूनी जागरूकता शिविरों से संबंधित कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। सदस्य सचिव ने अधिकारियों को लोक अदालतों की तैयारी पर विशेष ध्यान देने और लंबित मामलों के समयबद्ध निस्तारण को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।

औचक निरीक्षण के दौरान जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के चेयरमैन एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीआर चालिया, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं सचिव पवन कुमार सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। बैठक में सदस्य सचिव ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण का उद्देश्य केवल अदालतों में कानूनी सहायता प्रदान करना नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर तबके को न्याय की मुख्यधारा से जोड़ना है। उन्होंने जेलों एवं बाल सुधार गृहों में नियमित कानूनी जागरूकता शिविर आयोजित करने और लाभार्थियों को उनके विधिक अधिकारों की जानकारी देने के निर्देश भी दिए।

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