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हुड्डा पिता-पुत्र षड्यंत्र के मास्टर : किरण

कार्तिकेय शर्मा के राज्यसभा चुनाव का मामला
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भिवानी, 18 जून (हप्र)

राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा को राज्यसभा सदस्य बनाने में किरण चौधरी की भूमिका को लेकर एक बार फिर से राजनीति गर्म हो गई है। हालांकि कार्तिकेय शर्मा ने एक पाॅडकास्ट में किरण चौधरी का वोट जब वे कांग्रेस मे थी, उनका मिलने का दावा किया था। इस दावे को कार्तिकेय शर्मा ने कुछ समय बाद ही नकारते हुए इस बयान को तोड़-मोड़ कर पेश करना बताया था। इस मामले में आज राज्यसभा सांसद किरण चौधरी ने साफ किया कि कार्तिकेय शर्मा अपना स्पष्टीकरण दे चुके हैं। किरण चौधरी ने भिवानी में इस पुराने किस्से को विस्तार से बताते हुए कहा कि 2004 में उनके पास बहुमत था। बावजूद इसके वे एक वोट के अन्तर से हार गई, क्योंकि एक बैलेट पेपर पर स्याही की बिंदी लगा रखी थी। वह वोट रद्द हो गया और वह चुनाव हार गई। इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इलेक्शन पीटिशन दायर की थी लेकिन 2004 से लेकर आज तक उन्हें यह पता नहीं चल सका कि यह बिंदी किसने लगाई थी और उनकी हार के पीछे कौन व्यक्ति था? ऐसे में कार्तिकेय शर्मा के राज्यसभा चुनाव को लेकर उनका नाम लिया जाना कहां तक उचित है? यदि हुड्डा ऐसा बोल रहे हैं तो इसके पीछे राजनीतिक षड्यंत्र है, क्योंकि वे खुद इस प्रकार के षडय़ंत्रों की भुगत भोगी रही हैं। उन्होंने कहा कि आरोप लगाया कि कांग्रेस में रहते हुए भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने उन्हें राजनीतिक रूप से मारने का कार्य किया है। इसके लिए वे उनका धन्यवाद करती हैं । अगर हुड्डा विरोध नहीं करते तो वे भाजपा में शामिल नहीं होती। उन्होंने 2016 में हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान हुए स्याही कांड के लिए भी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को कटघरे में खड़ा किया। किरण चौधरी ने हुड्डा पिता-पुत्र को षडय़ंत्र का मास्टर बताया। उन्होंने कहा कि वे लोग सत्यमेव जयते कह रहे हैं जिन्होंने पूरे हरियाणा को प्रॉपर्टी में पंचकूला से गुरुग्राम तक नाप दिया और आज सीबीआई कोर्ट के बाहर खड़े रहते हैं।

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