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भिवानी की मिट्टी को महकाने वाले महापुरुषों का सम्मान इतिहास और वर्तमान का संगम : प्रो. गणेशी लाल

महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में वैश्य महाविद्यालय परिसर में करवाया वैश्य रत्न सम्मान समारोह अग्रवाल वैश्य समाज द्वारा महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में वैश्य महाविद्यालय परिसर में सोमवार को ‘वैश्य रत्न सम्मान समारोह’ का आयोजन किया गया।...
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भिवानी में कार्यक्रम में उपस्थित विधायक घनश्याम सर्राफ व अन्य। - हप्र
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महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में वैश्य महाविद्यालय परिसर में करवाया वैश्य रत्न सम्मान समारोह

अग्रवाल वैश्य समाज द्वारा महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में वैश्य महाविद्यालय परिसर में सोमवार को ‘वैश्य रत्न सम्मान समारोह’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उड़ीसा के पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बतौर मुख्यातिथि संबोधित किया।

किसी कारणवश वे समारोह में उपस्थित नहीं हो पाए, लेकिन उन्होंने अपने वर्चुअल संदेश में कहा कि भिवानी की मिट्टी को अपने परोपकार और कर्मठता से महकाने वाले महापुरुषों का यह सम्मान वास्तव में इतिहास और वर्तमान का संगम है। समारोह का शुभारंभ विधायक घनश्याम सर्राफ एवं अजय बनारसी दास गुप्ता ने महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से किया।

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तत्पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत किया गया और उन्हें पंगत में बैठाकर शाही भोज भी करवाया गया। इयस मौके पर प्रो. गणेशीलाल ने कहा कि वैश्य समाज की विभूतियों ने भिवानी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई। उनके प्रयासों से 1960 और 1970 के दशक में भिवानी एक छोटे कस्बाई स्वरूप से निकलकर ‘छोटी काशी’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

उन्होंने कहा कि आज जिन महान विभूतियों के मरणोपरांत उनके वंशजों को सम्मानित किया जा रहा है, वे उन आदर्शों की विरासत हैं जिनसे भिवानी की मिट्टी सदैव महकती रही है। इस तरह के आयोजन वर्तमान पीढ़ी को प्रेरित करते हैं कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए समाज और राष्ट्र के उत्थान में योगदान दें। ये समारोह इतिहास और वर्तमान के बीच सेतु का काम करते हैं।

विभूतियों की बदौलत भिवानी को मिली राष्ट्रीय पहचान

विधायक एवं पूर्व मंत्री घनश्याम सर्राफ ने कहा कि भिवानी की पहचान केवल उद्योग और व्यापार तक सीमित नहीं रही, बल्कि यहां की विभूतियों ने शिक्षा, समाजसेवा और संस्कृति में भी गहरी छाप छोड़ी। उनके योगदान को याद करना न केवल गर्व की बात है बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी भी है।

विशिष्ट अतिथि अजय बनारसी दास गुप्ता ने कहा कि उस दौर में भिवानी के कई प्रतिष्ठित परिवार अपने व्यावसायिक कार्यों के चलते दिल्ली, मुंबई, जयपुर, कोलकाता, सूरत और चेन्नई जैसे महानगरों तक पहुंचे और वहां अपनी मेहनत से पहचान बनाई। उन्होंने कहा कि कठिनाइयों के बावजूद जड़ों से जुड़कर काम करना ही असली प्रगति का रास्ता है।

आधुनिक भिवानी के निर्माण में निभाई अहम भूमिका

अग्रवाल वैश्य समाज के प्रदेशाध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि इन महान विभूतियों ने समाज उत्थान के साथ-साथ आधुनिक भिवानी के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि उस कालखंड के दौरान इन महान विभूतियों ने महानगरों एवं देश के अन्य क्षेत्रों में जाकर प्रगति के सौपान चढ़ें, लेकिन अपने गृहनगर भिवानी के विकास के लिए वे हमेशा जुड़े रहे।

उनकी बदौलत ही शहर में बड़े उद्योग, शैक्षणिक संस्थान और धार्मिक-सामाजिक संस्थाओं की स्थापना हुई। उन्होंने कहा कि यह सम्मान समारोह भूतकाल के योगदान को संजोते हुए वर्तमान पीढ़ी को प्रेरणा देने का कार्य करेगा।

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