तय मानकों पर खरे बाजरे को भी नहीं खरीद रही सरकारी खरीद एजेंसियां : गोठड़ा
सरकारी खरीद एजेंसियों पर किसानों का आरोप, चौ. देवीलाल विचार मंच ने उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन
चौ. देवीलाल विचार मंच के संयोजक विजय सिंह गोठड़ा के नेतृत्व में बुधवार को प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर बताया कि सरकारी खरीद एजेंसियां बाजरे की खरीद तय मानकों के बहाने से नहीं कर रही हैं। उनका कहना है कि इससे किसान मजबूरी में प्राइवेट एजेंसियों को बाजरा ओने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं।
गोठड़ा ने बताया कि सरकार ने खरीद के लिए एक क्विंटल बाजरे में अखाद्य पदार्थ 1 किलो, अन्य खाद्य पदार्थ 3 किलो, टूटा दाना 1.5 किलो, मुरझाया या कचिया दाना 4 किलो, घुन लगा दाना 1 किलो, नमी 14 प्रतिशत और बदरंग दाना 4.5 प्रतिशत तक रहने की अनुमति दी है। इन मानकों के अनुसार सरकारी एजेंसियां एमएसपी पर खरीद करने से इनकार नहीं कर सकतीं।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष अधिक बारिश के कारण बाजरे का रंग बदल गया है, लेकिन इसका पोषण या गुणवत्ता पर कोई असर नहीं हुआ। गोठड़ा ने यह भी बताया कि पुराने मानक अब प्रासंगिक नहीं हैं क्योंकि नए किस्म के बीजों का स्वाभाविक रंग हल्का पीला, हल्का कबूतरी या हल्का हरा होता है। इसलिए, भूरा रंग वाला बाजरा पैदा होना संभव नहीं है।
किसानों की मांग है कि पुरानी पॉलिसी में सुधार किया जाए और नए बीजों और मौसम के अनुसार खरीद के मानक हर साल तय किए जाएं। इस वर्ष बदरंग दाने की सीमा 20 प्रतिशत रखी जानी चाहिए। गोठड़ा ने उपायुक्त से आग्रह किया कि मंडी का दौरा कर सरकारी खरीद एजेंसियों के रवैये की जांच की जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि एजेंसियां बाजरे की ढेरी रद्द करती हैं, तो वे कच्चा चिट्ठा सार्वजनिक करेंगे। मंच का कहना है कि बदरंग हुआ बाजरा भी पूरी तरह से खाने योग्य है और अधिकतर इसका उपयोग पशु चारे और मुर्गी के भोजन में होता है। किसान अगली फसल के लिए बीज, खाद और डीजल खरीदने के लिए मजबूर हैं, इसलिए सरकारी खरीद में बाधा उनके लिए गंभीर समस्या बन गई है।