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डीएलसी सुपवा फाउंडेशन डे में लोकनृत्य, रागिनी और ग़ज़लों की धूम, देशभक्ति गीतों ने बांधा समां

दादा लख्मी चंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विज़ुअल आर्ट्स (डीएलसी सुपवा) का फाउंडेशन डे सुर, ताल और रंगों के संगम में तबदील हो गया। सप्ताहभर चल रहे तिरंगा महोत्सव के तहत आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में हरियाणवी लोकनृत्य, भावपूर्ण...
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रोहतक के दादा लख्मी चंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स के फाउंडेशन डे पर अतिथियों का स्वागत करतीं रजिस्ट्रार डॉ. गुंजन मलिक व कुलपति डॉक्टर अमित आर्य।-हप्र
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दादा लख्मी चंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विज़ुअल आर्ट्स (डीएलसी सुपवा) का फाउंडेशन डे सुर, ताल और रंगों के संगम में तबदील हो गया। सप्ताहभर चल रहे तिरंगा महोत्सव के तहत आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में हरियाणवी लोकनृत्य, भावपूर्ण रागिनी, दिल छू लेने वाली ग़ज़लें और जोशीले देशभक्ति गीतों ने माहौल को यादगार बना दिया। शुरुआत रजिस्ट्रार डॉ. गुंजन मलिक के स्वागत भाषण और अतिथियों का सम्मान करने से हुई। मुख्य अतिथियों में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अनंत विजय, दिल्ली के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर हेमंत केला, फैशन डिज़ाइनर श्याम सिंह राजपूत, नाटककार और निर्देशक विभांशु वैभव शामिल रहे।

कार्यक्रम का सांस्कृतिक चरम हरियाणवी लोकनृत्य की जीवंत थाप से शुरू हुआ, जिसके बाद रवि कुमार की शहीद भगत सिंह पर प्रस्तुत रागिनी ने देशभक्ति की ऊर्जा भर दी। ध्रुव और निष्ठा की ग़ज़लें — दिल में एक लहर सी उठी है अभी और आज जाने की ज़िद न करो — ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बैंड सुपवा की तेरी मिट्टी में मिल जावां और ऐ वतन, मेरे वतन की धुनों पर पूरा सभागार खड़ा होकर झूम उठा।

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22 छात्रों द्वारा मंचित नाटक ऑपरेशन सिंदूर ने पहलगाम पीड़ितों की पीड़ा को जीवंत कर भावुक कर दिया। लगभग 30 पूर्व छात्रों ने भी कार्यक्रम में शिरकत कर पुराने रिश्ते फिर से ताज़ा किए। कुलपति डॉ. अमित आर्य ने एलुमनाई मीट नवंबर में आयोजित करने की घोषणा की।

समापन भव्य रात्रिभोज के साथ हुआ। इसका संचालन जनसंपर्क निदेशक डॉ. बैनुल तोमर, डॉ. मनीषा यादव और डिज़ाइन फैकल्टी की जिज्ञासा ने किया।

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