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पहले घर की नारियों का सम्मान, फिर करें मां दुर्गा का ध्यान : स्वामी धर्मदेव

रामकथा के समापन अवसर पर स्वामी धर्मदेव ने रामकथा को बताया जीवन की परिवर्तनकारी यात्रा
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नवरात्र आरंभ हो चुके हैं। इस अवसर पर लोग मंदिरों में जाकर मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं। हालांकि मंदिर में जाकर दुर्गा पूजा करना श्रेष्ठ है, लेकिन इससे पहले अपने परिवार, समाज और आसपास रहने वाली महिलाओं का सम्मान करना अत्यंत आवश्यक है। यह बात आश्रम हरि मंदिर पटौदी के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने कही।

स्वामी धर्मदेव ने झज्जर में कथाव्यास स्वामी उमानंद द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के समापन अवसर पर कहा कि जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवता स्वयं निवास करते हैं। उन्होंने कहा, यदि हम मंदिर में जाने से पहले अपने घर की महिलाओं का सम्मान करें, तो परमात्मा स्वयं प्रसन्न होते हैं। उन्होंने महिलाओं को शक्ति का स्रोत बताते हुए कहा कि कठिन समय में उनका समर्थन किसी भी प्रयास की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। रामकथा का महत्व बताते हुए स्वामी धर्मदेव ने कहा कि यह जीवन की परिवर्तनकारी यात्रा है, जो व्यक्ति को आंतरिक शांति, भक्ति और दिव्य संबंध की ओर ले जाती है। उन्होंने झज्जर में पितृ पक्ष के दौरान रामकथा आयोजन के लिए मानस मित्र मंडल के सदस्यों को साधुवाद दिया। कथा समापन के अवसर पर कथाव्यास स्वामी उमानंद, मानस मित्र मंडल के सदस्य वीके नरूला, श्रवण मदान, गौतम आर्य, देवराज भुगड़ा, रविंद्र सोनी, लक्ष्य वर्मा, दिनेश दुजाना, राधेश्याम भाटिया, शंकर ग्रोवर, सतीश ढींगड़ा और सुभाष वर्मा ने स्वामी धर्मदेव का स्वागत किया। अंतिम दिन श्री प्रेम मंदिर पानीपत से आई बृज रसिका दीदी मीनाक्षी ने मधुर भजनों से श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डुबो दिया। श्रद्धालुजन भक्ति रस में झूमते हुए भजनों का आनंद उठाते नजर आए।

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