प्रदेश स्तरीय महापंचायत में किसानों ने दिखाये तेवर
सोनीपत में बृहस्पतिवार को किसानों ने प्रदेश स्तरीय महापंचायत आयोजित करके अपनी मांगों को लेकर खूब तेवर दिखाये। किसानों ने छोटूराम धर्मशाला में बैठक की और फिर लघु सचिवालय परिसर तक विरोध मार्च निकाला। बाद में लघु सचिवालय परिसर में पहुंचकर डीसी को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा।
भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर हरियाणा के आह्वान पर प्रदेश स्तरीय महापंचायत का आह्वान किया गया था। जिसके चलते बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में किसान छोटूराम धर्मशाला में पहुंचे जहां किसानों ने विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। इसके बाद किसान नेता अभिमन्यु के नेतृत्व में किसानों ने छोटूराम धर्मशाला से लेकर लघु सचिवालय परिसर में विरोध मार्च निकाला। किसानों ने लघु सचिवालय परिसर के मुख्य गेट के सामने तिरपाल बिछाकर महापंचायत शुरू की। इस दौरान किसान नेता वीरेंद्र पहल ने सोनीपत चीनी मिल में पिराई प्रक्रिया में हो रही देरी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सोनीपत चीनी मिल में जिन कंपनी ने पिछले साल ठेका लिया था, उसने काफी बेहतर ढंग से काम किया था। परंतु इस बार उस कंपनी का ठेका रद्द कर दिया। जिसकी वजह से रिपेयरिंग का काम अधर में लटका हुआ है।
उन्होंने कहा कि समय पर रिपेयरिंग न होने की वजह से किसानों को आशंका है कि इस बार दिसंबर से पहले मिल में पिराई सत्र शुरू नहीं हो पाएगा। इस वजह से किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। वहीं, किसानों ने हाईटेंशन तारों और खेतों में लगाए जाने वाले खंभों के मुआवजा का मुद्दा उठाते हुए मांग की कि सभी राज्यों में एक समान मुआवजा किसानों को दिया जाए। किसानों की शिकायत है कि दिल्ली में मुआवजा रेट अलग रखा गया है जबकि हरियाणा में अलग रखा गया है।
किसानों ने भूमि अधिग्रहण को लेकर किया रोष प्रकट
महापंचायत में किसानों ने बताया कि सरकार हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण करना चाहती है। परंतु किसान की मंजूरी और उचित मुआवजे के बिना भूमि अधिग्रहण नहीं होने दिया जाएगा। किसानों ने आरोप लगाया कि किसानों की जमीनों पर प्रॉपट्री डीलरों की नजर लगी हुई है। किसान अपनी जमीन नहीं बेचना चाहते। किसानों ने खाद वितरण प्रणाली को लेकर भी रोष प्रकट किया।
50 हजार प्रति एकड़ मुआवजे की मांग उठी
महापंचायत में बरसात की वजह से खराब हुए फसलों का मुआवजा भी जल्द से जल्द जारी करने की मांग की। किसानों ने सरकार और प्रशासन से मांग करते हुए बताया कि बरसात के कारण कपास, बाजरा, ज्वार, धान जैसी फसलें बर्बाद हुई है। फसलों की स्पेशल गिरदावरी करवाकर किसानों को प्रति एकड़ कम से कम 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाना चाहिए।