कुम्हारिया में इंसानियत की मिसाल : बिना सगे भाई के भी भरा भात
ऐलनाबाद, 24 जून (निस)
हमारे समाज में समाज में कुछ ऐसी जातियां भी हैं, जैसे–भोपा, भाट, नट, इत्यादि, जिनका कोई स्थायी ठिकाना नहीं होता। ये लोग एक गांव से दूसरे गांव जाकर जीवनयापन करते हैं। इन्हीं में से एक लीलू राम रोज का परिवार इन दिनों हरियाणा के सिरसा जिले के कुम्हारिया गांव में रह रहा है। यह परिवार भोपा जाति से ताल्लुक रखता है। उसने अपने बेटे अनिल कुमार की शादी का आयोजन इसी गांव में रखा गया। शादी के दौरान एक रस्म होती है –भात की रस्म। यह रस्म खास तौर पर लड़की की मां की तरफ से यानी ननिहाल से निभाई जाती है। परंतु इस परिवार में लीलू राम की पत्नी रोशनी देवी का न तो कोई सगा भाई है, न कोई मामा-नाना। इस कारण वह भावुक और चिंतित थी कि उसकी बेटी की शादी में यह रस्म अधूरी रह जाएगी।
इस बहन ने हार नहीं मानी। उसने उन गांवों में जहां-जहां वह पहले रह चुकी थी, वहां के कुछ जान-पहचान के लोगों को तिलक निकाल कर भात भरने का न्योता दिया। तीन अलग-अलग गांवों से आए लोग न केवल इस शादी में शामिल हुए, बल्कि पूरे रीति-रिवाज और सामाजिक मर्यादा के साथ भात भरने की रस्म भी निभाई। लेकिन जो भात सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, वो था राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के खचवाना गांव से आया भात लालचंद महायच और प्रेम बरोड़ ने इस बहन के लिए जिस तरह से भात भरा, उसने पूरे क्षेत्र में एक मिसाल कायम की। खचवाना से लगभग 20 से ज्यादा लोग –पुरुष, महिलाएं और बच्चे –इस शादी में शामिल होने पहुंचे। सभी ने पारंपरिक तरीके से भात की रस्म निभाई और बहन के परिवार को पूरा मान-सम्मान दिया।