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बेरी के माजरावासियों के लिए अभिषाप बना निकासी सिस्टम, जलभराव से सैकड़ों एकड़ भूमि बनी झील

झज्जर, 11 जुलाई (हप्र) जिले के माजरा (दूबलधन) गांव में करोड़ों रुपये की जल निकासी परियोजना ही जलभराव का कारण बनती जा रही है। जटेला धाम की तरफ के जंगल में साहीशेर से लुहारू कैनाल तक सवा 6 करोड रुपये...
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झज्जर, 11 जुलाई (हप्र)

जिले के माजरा (दूबलधन) गांव में करोड़ों रुपये की जल निकासी परियोजना ही जलभराव का कारण बनती जा रही है। जटेला धाम की तरफ के जंगल में साहीशेर से लुहारू कैनाल तक सवा 6 करोड रुपये की यह परियोजना क्रियान्वित की गई थी।

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पिछले बरसात के मौसम से पहले मेरगाला जोहड़ तक पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा हो चुका था। अतः यह परियोजना 2 साल पहले अमल में आई थी। इन 2 वर्षों में भी प्रशासन की लापरवाही से यह परियोजना क्रियान्वित नहीं हो सकी। बुकनवाली जोहड़ पर इसका पंप हाउस बना हुआ है। यहां बिजली की व्यवस्था नहीं हो सकी, जिससे यहां की 400 एकड़ भूमि जलभराव की चपेट में आ रही है। थलियों व ऊंचे खेतों के पानी से इसकी हौदियां ओवरफ्लो होने से कमडहरी व खुड्डहरर में जलभराव से सैंकङो एकड़ भूमि झील का रूप लेती जा रही है। इस जलभराव के कारण जटेला धाम का संपर्क भी माजरा, सिवाना व बांसगांव से टूट जाता है। सीएम नायब सिंह सैनी 12 जून को जटेला धाम आए थे। गांव वासियों को उम्मीद जगी थी कि जल निकासी की परियोजना से उन्हें जलभराव से निजात मिलेगी। परंतु हुआ विपरीत।

प्रशासन की लाल फीताशाही से जटेला धाम के सिमाणे पर जलभराव के बादल मंडराने लगे हैं। पूर्व सरपंच नरेंद्र का कहना है कि इस जलभराव से सैकड़ो किसान बर्बाद हो जाएंगे। वहीं, जटेला धाम के दर्शन भी दुर्लभ हो सकते हैं। सतेंद्र उर्फ ढिल्लू किसान का कहना है कि उसकी धान की फसल हर साल की तरह जलभराव की भेंट चढ़ सकती है। दिलसुख व दीपक का कहना था कि इसके लिए उपायुक्त झज्जर के दरबार में भी लिखित गुहार लगाई गई थी,परंतु प्रशासन ने माजरा की जल भराव की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण 400 एकड़ भूमि जल भराव का दंस झेलने को मजबूर है।

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