हरीश भारद्वाज/हप्र
रोहतक, 10 जुलाई
दादा लख्मी चंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विश्वविद्यालय (डीएलसी सुपवा) अब सिर्फ अकादमिक नहीं, बल्कि रचनात्मक और व्यावसायिक दक्षता का केंद्र बनेगा। कुलपति डॉ. अमित आर्य ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों से बातचीत में विश्वविद्यालय के समग्र विकास का रोडमैप साझा किया।
उन्होंने बताया कि फिल्म एंड टेलीविजन विभाग के अधूरे प्रोजेक्ट्स को जल्द पूरा कराया जाएगा ताकि विद्यार्थियों का पोर्टफोलियो मजबूत हो। इसके लिए आधुनिक कैमरे, लाइट और अन्य तकनीकी उपकरणों की अस्थायी व्यवस्था की गई है और स्थायी खरीद प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
डॉ. आर्य ने बताया कि छात्रों को बेहतर मार्गदर्शन देने के लिए पूर्व बैच के दो अनुभवी विद्यार्थियों को प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में स्थायी फैकल्टी की नियुक्ति प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे शिक्षण में निरंतरता और गुणवत्ता बनी रहे। कुलपति ने कहा कि यह कार्ययोजना केवल प्रशासनिक स्तर पर नहीं बनी, बल्कि विद्यार्थियों, शिक्षकों और स्टाफ से संवाद कर एक समावेशी दृष्टिकोण के साथ तैयार की गई है। “हमारा उद्देश्य केवल डिग्री देना नहीं, बल्कि ऐसा वातावरण तैयार करना है जहां छात्र नवाचार करें, उद्यम करें और देश की रचनात्मक अर्थव्यवस्था में भागीदार बनें,” । इस अवसर पर विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार डॉ. गुंजन मलिक भी उपस्थित रहीं।
यह है रोडमैप
- अधूरे प्रोजेक्ट्स होंगे पूरे, संसाधन और मार्गदर्शन किया जाएगा प्रदान।
- आधुनिक तकनीकी उपकरणों की अस्थायी व स्थायी व्यवस्था होगी।
- पूर्व छात्रों को परामर्शदाता (मेंटॉर) के रूप में जोड़ा जाएगा।
- सभी वर्गों से संवाद कर तैयार हुआ समावेशी रोडमैप
- स्थायी फैकल्टी और इंडस्ट्री विशेषज्ञों की नियुक्ति पर जोर।