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एडीजीपी आत्महत्या मामले में अंतिम नोट का विवरण स्तब्ध करने वाला : रामफल देशवाल

विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन भिवानी में शनिवार को विभिन्न जनसंगठनों ने एकजुट होकर एडीजीपी वाई. पूरन कुमार आत्महत्या मामले की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जोरदार...
भिवानी में कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन करते विभिन्न संगठनों के सदस्य। -हप्र
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विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन

भिवानी में शनिवार को विभिन्न जनसंगठनों ने एकजुट होकर एडीजीपी वाई. पूरन कुमार आत्महत्या मामले की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वाले व्यक्ति को एससी-एसटी अधिनियम के तहत तुरंत गिरफ्तार करने की भी मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए लघु सचिवालय पहुंचकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन में किसान सभा, दलित अधिकार मंच, सीटू और जनवादी महिला समिति सहित कई संगठन शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि एडीजीपी की आत्महत्या कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि यह एक संस्थागत हत्या है।

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इस मौके पर जनसंगठनों की ओर से रामफल देशवाल, कामरेड ओमप्रकाश, सुखदेव पालवास, कामरेड अनिल कुमार और बिमला ने कहा कि एडीजीपी वाई. पूरन कुमार द्वारा छोड़े गए अंतिम नोट में जो घटनाक्रम और हालात दर्ज हैं, वे बेहद स्तब्ध करने वाले हैं। यह नोट इस बात की ओर इशारा करता है कि अधिकारी को लगातार जातिगत पूर्वाग्रह और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें प्रशासनिक और राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है। रामफल देशवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने का मामला भी इसी मानसिकता का ताजा उदाहरण है। उन्होंने मांग की कि जूता फेंकने वाले व्यक्ति पर एससी-एसटी एक्ट और कोर्ट की अवमानना के तहत मामला दर्ज कर तुरंत गिरफ्तार किया जाए।

नेताओं ने कहा कि भले ही एडीजीपी आत्महत्या मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन आवश्यक है कि समयबद्ध सीमा में निष्पक्ष जांच की जाए और सभी दोषियों को सख्त सजा मिले। उन्होंने सरकार की चुप्पी और उदासीनता पर गहरा आक्रोश जताया। संगठनों ने जनता से अपील की कि वे ऐसे अन्याय और भेदभाव के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं, ताकि सरकार को संविधान के अनुसार काम करने और समानता सुनिश्चित करने के लिए मजबूर किया जा सके।

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