डीसीआरयूएसटी की टीचर एसो. डीक्रूटा ने आवाज की बुलंद...
दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल में विद्यार्थियों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कभी परीक्षा परिणाम में देरी तो कभी प्रशासनिक लापरवाही। हाल ही में जहां बीटेक प्रथम सेमेस्टर का रिजल्ट एक साल तक टलने से छात्रों की परेशानी उजागर हुई थी, वहीं अब यह मामला उठ रहा है कि लाखों रुपये शुल्क वसूलने के बावजूद छात्रों के आई-कार्ड तक जारी नहीं किए गए और न ही लाइब्रेरी में नई किताबें खरीदी गईं।
उपरोक्त समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय की टीचर्स एसोसिएशन डीक्रूटा के अध्यक्ष डॉ. अजय डबास ने विवि के मुखिया समेत सभी प्रशासनिक अधिकारियों को ई-मेल भेजकर समाधान मांगा है। साथ ही कहा है कि विद्यार्थियों की इन समस्याओं की ओर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। दाखिले के समय हर विद्यार्थी से 100 रुपये आई-कार्ड शुल्क लिया जाता है। बावजूद इसके, दर्जनों नहीं बल्कि सैकड़ों छात्र आज भी बिना आई-कार्ड के पढ़ाई कर रहे हैं। जानकारी अनुसार सिर्फ बीटेक के ही 607 छात्र अब तक पहचान पत्र से वंचित हैं। स्थिति यह है कि आई-कार्ड न होने के कारण छात्र लाइब्रेरी में किताबें निर्बाध रूप से जारी नहीं करवा पा रहे और कई बार कैंपस की अन्य गतिविधियों में भी परेशानी झेलनी पड़ती है।
विवि की लाइब्रेरी व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय हर साल छात्रों से लाइब्रेरी शुल्क के नाम पर 90 लाख रुपये से अधिक की राशि ली जाती है। बीटेक, एमबीए और एमटेक के छात्रों से 2 हजार रुपये सालाना और अन्य पाठ्यक्रमों से एक हजार रुपये सालाना वसूले जाते हैं। इतना भारी-भरकम शुल्क लेने के बावजूद पिछले दो वर्षों से लाइब्रेरी के लिए किताबें नहीं खरीदी गईं। छात्रों का कहना है कि कई बार वे जरूरी संदर्भ पुस्तकें मांगते हैं, लेकिन उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि किताब उपलब्ध नहीं है। इससे उनकी पढ़ाई और शोध कार्य पर सीधा असर पड़ रहा है। इसको लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन की योजना की जानकारी लेने के लिए कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह से संपर्क करने के लिए फोन किया तो कॉल अटैंड नहीं हुई।