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अनुयायियों की भीड़ और पुराने आचरण ने बढ़ाई मुश्किलें

स्वयंभू संत रामपाल की जमानत याचिका खारिज

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सतलोक आश्रम प्रकरण में देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे स्वयंभू संत रामपाल की नियमित जमानत याचिका को हिसार की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परमिंदर कौर की अदालत ने सख्त टिप्पणियों के साथ खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि रामपाल की रिहाई से सार्वजनिक व्यवस्था खतरे में पड़ सकती है और न्याय प्रक्रिया भी बाधित हो सकती है। न्यायालय ने अपने फैसले में साफ कहा कि रामपाल के अनुयायियों और अधिवक्ताओं की भीड़ ने हमेशा कानून-व्यवस्था की स्थिति को चुनौती दी है। यहां तक कि वर्चुअल पेशी के दौरान भी जेल के बाहर अनुयायियों की भारी भीड़ जमा हो जाती है, जो केवल उसकी एक झलक पाने के लिए आती है।

महिला वकीलों सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने वकालतनामा दायर कर केवल रामपाल को देखने के लिए पेशी में भाग लेने की कोशिश की। इससे अदालत को अधिकृत वकीलों की सूची बनानी पड़ी और अनावश्यक वकीलों की पेशी पर रोक लगानी पड़ी।

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विस्फोटक पर भी अदालत सख्त

रामपाल की ओर से पेट्रोल बम को विस्फोटक की श्रेणी में ना मानने की दलील दी गई, जिसे अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि पेट्रोल से भरी बोतलें और उनमें लगी बत्तियां भी विस्फोटक मानी जाएंगी। रामपाल को पहले दो हत्या के मामलों में मिली सजा को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने निलंबित कर दिया है और अन्य चार आपराधिक मामलों में वह बरी हो चुका है। लेकिन देशद्रोह का यह मामला ही अब उसकी रिहाई में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी स्वयंभू संत को इतनी छूट नहीं दी जा सकती कि वह कानून और न्याय प्रणाली को चुनौती देने लगे। रामपाल की असाधारण लोकप्रियता और अनुयायियों की अराजकता ने उसकी जमानत की राह और कठिन बना दी है।

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अदालत की तीखी टिप्पणी

अदालत ने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता, यद्यपि पवित्र है, उसे उस स्तर तक नहीं पहुंचाया जा सकता जहां वह न्यायालय के कामकाज को खतरे में डाल दे, नागरिक प्रशासन को पंगु बना दे और मुकदमे को अव्यवहारिक बना दे। रामपाल के पुराने आचरण को भी अदालत ने गंभीर माना और कहा कि उसने जानबूझकर उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की है। अगर वह उच्च न्यायालय का सम्मान नहीं कर सका, तो अधीनस्थ न्यायालय के आदेशों का पालन करना और भी मुश्किल होगा। बता दें कि मामला वर्ष 2014 का है, जब रामपाल को रोहतक की अदालत में हत्या के एक मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होना था। उस दिन उसके समर्थकों ने हिसार अदालत परिसर में घेराव किया, शीशे तोड़ डाले और वकीलों के साथ मारपीट भी की। रामपाल दो बार अदालत में पेश नहीं हुआ, जिस पर उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हुए। पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की, तो उसके समर्थकों ने पुलिस पर पेट्रोल बम फेंके और गोलीबारी की। इसके बाद देशद्रोह और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया। तब से रामपाल नवंबर 2014 से जेल में बंद है।

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