जलभराव से फसल हुई खराब, किसानों ने खड़ी फसल पर चलाया ट्रैक्टर
बोले-फसलों पर लाखों खर्च किए, बारिश ने अरमानों पर फेरा पानी
गांव पुर व सिवाड़ा के खेतों में जलभराव होने के चलते किसान इस कदर परेशान हैं कि उन्होंने खड़ी फसलों पर ही ट्रैक्टर चला दिया। कपास व बाजरा की फसल में पानी भरने के कारण नष्ट हो रही है। किसानों का कहना है कि कपास व बाजरा की फसल में जो खर्च लगना था व लग चुका है। अब पैदावार अच्छी होने की उम्मीद थी, लेकिन बरसात से हुए जलभराव ने अरमानों पर पानी फेर दिया।
ऐसे में वे जाएं तो कहां जाएं। मजबूरन खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाना पड़ रहा है ताकि अगली फसल के लिए खेत को तैयार किया जा सके।किसानों ने कहा कि 60 से अधिक एकड़ की फसल पर ट्रैक्टर चलाया गया है। क्योंकि अब कपास तो नहीं हो सकती। अब वे धान की बिजाई करेंगे, जिससे कुछ पैदावार हो जाए। ग्रामीणों ने कहा कि 5 जुलाई को हुई बारिश के बाद खेतों में पानी भरा था।
इसके बाद निकासी नहीं हुई। इतने लंबे समय तक कपास में पानी भरा रहने के कारण फसल खराब हो रही है। गांव पुर निवासी संदीप ने करीब 10 एकड़ कपास, गांव पुर निवासी बिजेंद्र ने करीब 8 एकड़ कपास, संदीप ने 7 एकड़ कपास, गांव सिवाड़ा निवासी बिजेंद्र ने 7 एकड़ कपास, जयभगवान ने 3 एकड़ कपास, जयपाल ने 4 एकड़ कपास व 3 एकड़ बाजरा, मंजीत ने 5 एकड़ कपास व डेढ़ एकड़ बाजरा, जयबीर ने डेढ़ एकड़ कपास व एक एकड़ बाजरे के फसल पर ट्रैक्टर चलाया है।
60 एकड़ से अधिक फसल पर चलाया ट्रैक्टर
गांव सिवाड़ा निवासी जयबीर ने कहा कि कपास की फसल में जलभराव होने के बाद अधिकारियों से पानी निकासी की गुहार लगाई थी। लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। गांव पुर व सिवाड़ा के 60 से अधिक एकड़ में खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाया है ताकि धान की बिजाई कर पाएं। इधर, खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाने के लिए भी ट्रैक्टर चालक द्वारा 3 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। बड़ी मुश्किल से फसल उगाई थी, लेकिन अब इसको नष्ट करना पड़ रहा है।
गांव सिवाड़ा निवासी बिजेंद्र ने कहा कि उसने करीब 6 एकड़ जमीन पट्टे पर ली थी, जिस पर कपास की बिजाई की हुई थी। खड़े पानी में कपास की फसल तो हो नहीं सकती। इसलिए ट्रैक्टर चलाया जा रहा है। अगर पानी खड़ा रहता है तो धान की बिजाई की जाएगी।
धान की बिजाई इसलिए करेंगे कि गेहूं की बिजाई के लिए जमीन ठीक रहे। उन्होंने करीब 6 लाख रुपए खर्च कर दिए, लेकिन आय एक रुपए की भी नहीं हुई। ऐसे वे जाएं तो कहां जाएं। इस कर्ज को जमीन बेचकर उतारें या फिर खुद आत्महत्या करें।
मजबूरन फसल पर चलाना पड़ा ट्रैक्टर
गांव पुर निवासी संदीप ने बताया कि खड़ी कपास की फसल में पानी भर गया। किसानों ने 50 हजार रुपए प्रति एकड़ तक पट्टे पर लेकर फसलों की बिजाई की थी। वहीं कपास पर भी 10-20 हजार रुपए खर्च किया था। अब कपास में फल आने लगा हुआ था। अगर अनुकूल मौसम रहता तो अच्छी पैदावार होती, लेकिन अब बारिश के कारण फसल में पानी जमा हो गया और कपास की फसल खराब हो गई। इसलिए कपास के ऊपर ट्रैक्टर चलाया जा रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह मदद करे।