नारनौल परिवहन डिपो में भ्रष्टाचार व अव्यवस्था, सांझा मोर्चा ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की
साथ ही जीप और टेंपो भी मुख्य गेट से अवैध रूप से यात्रियों को विभिन्न रूटों पर ले जा रहे हैं। देवेंद्र सिंह ने बताया कि डिपो में कुल 164 बसें दर्ज हैं, लेकिन केवल 135 बसें ही नियमित रूप से मार्ग पर चल रही हैं। शेष बसें स्टाफ की कमी और प्रबंधन की अनदेखी के कारण वर्कशॉप में खड़ी रहती हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि पसंदीदा चालक और परिचालक को उनके मूल पदों से हटाकर अन्य सीटों पर बैठाया गया, जिससे सरकारी बसें ठप रह जाती हैं। इसके अलावा यूनियन से जुड़े कई कर्मचारियों को भी उनके असाइन किए गए कार्यों से हटाकर अलग जिम्मेदारी दी गई है।
बिट्टू ने कहा कि सरकार के स्वच्छता अभियान के बावजूद नारनौल बस अड्डा और महेंद्रगढ़, अटेली, कनीना तथा नांगल चौधरी बस स्टैंडों की स्थिति दयनीय है। कई शौचालय बंद पड़े हैं और जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि महाप्रबंधक जानबूझकर उन रूटों पर सरकारी बसों की संख्या कम कर रहा है, जहां प्राइवेट ऑपरेटर सक्रिय हैं, जिससे निजी ऑपरेटरों को लाभ मिलता है।
उन्होंने आगे बताया कि महाप्रबंधक कर्मचारियों की छुट्टियों, केस फाइलों और लंबित मामलों के निपटारे में भी भ्रष्टाचार कर रहा है तथा आम कर्मचारियों को शिकायत सुनने की बजाय अपने दलालों से संपर्क करने की सलाह देता है। सांझा मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य ने सरकार से मांग की है कि नारनौल डिपो में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और अवैध संचालन की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
