मातृभाषा के प्रचार प्रसार में दें योगदान : डॉ. भावना
भिवानी, 21 फरवरी (हप्र)
बहुभाषी होना चाहिए लेकिन मातृभाषा को कदापि भूलें नहीं। मातृभाषा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दें। यह विचार चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. भावना शर्मा ने विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी के नेतृत्व में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सत्र में बतौर मुख्यातिथि प्रस्तुत किए।
उन्होंने कहा कि हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करें एवं पूर्णतया गर्व की अनुभूति करें। हमारी मातृभाषा हमारी संस्कृति की धारा है। मातृभाषा हिंदी हमारे राष्ट्र की पहचान है। उन्होंने हिंदी विभाग द्वारा कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई दी। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रो. संजीव कुमार ने कहा कि हमारी मातृभाषा हिंदी में हमें अपनत्व की अनुभूति होती है। बतौर विशिष्ट वक्ता पूर्व प्राचार्य डॉ बुद्धदेव आर्य ने मातृभाषा हिंदी की विशेषता एवं इसके महत्व पर विस्तृत विचार रखे।
इस मौके पर हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ. धर्मवीर द्वारा लिखित विश्वविद्यालय की ऐच्छिक विषय की पाठय पुस्तक चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास पुस्तक का विमोचन कुलसचिव व अन्य विशिष्ट अतिथियों ने किया। सांयकालीन सत्र में कर्मचारियों के लिए कार्यालयी कार्यों में मातृभाषा हिंदी का प्रयोग विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में डीन प्रो. विपिन कुमार जैन, विभागाध्यक्ष डॉ. लखा सिंह की मौजूदगी में सांयकालीन सत्र में बतौर वक्ता दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम हिसार के वरिष्ठ लेखा अधिकारी प्रदीप कुमार ने शिरकत की।
उन्होंने गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को अपने कार्यालय के कार्य हिंदी में करने तथा स्वहस्ताक्षर मातृभाषा में करने के गुर सिखाए। इस अवसर पर डॉ. स्नेहलता, डॉ. सुशीला आर्या, डॉ दीपक कुमारी, डॉ. महक, प्राध्यापक धर्मवीर, डॉ आकाशदीप व मनीषा सहित अनेक गैर शैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे।