Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

झज्जर पहुंचे समिति के सदस्य, उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

बहादुरगढ़ स्थित एक निर्माणाधीन मंदिर को तोड़े जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। शुक्रवार को झज्जर पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों और मंदिर निर्माण समिति के सदस्यों ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर दोषी अधिकारियों के...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
झज्जर में उपायुक्त को तोड़े गए मंदिर बाबत ज्ञापन सौंपने आए समिति के सदस्य। -हप्र
Advertisement

बहादुरगढ़ स्थित एक निर्माणाधीन मंदिर को तोड़े जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। शुक्रवार को झज्जर पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों और मंदिर निर्माण समिति के सदस्यों ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई भाजपा के एक स्थानीय नेता के इशारे पर की गई है। समिति के सदस्यों ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि जिस पार्टी ने मंदिरों के नाम पर सत्ता प्राप्त की, उसी के शासन में मंदिरों को ध्वस्त किया जा रहा है। विश्व हिंदू परिषद के हरज्ञान और ऋषि भारद्वाज ने तोड़फोड़ के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों से वित्तीय रिकवरी की मांग करते हुए कहा कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो संगठन एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेगा।

उन्होंने बताया कि यह मामला हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के संज्ञान में लाया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है, लेकिन लोगों में अभी भी गहरा असंतोष देखा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि धार्मिक आस्थाओं के साथ इस तरह की छेड़छाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो यह आंदोलन जिले से निकलकर प्रदेशव्यापी रूप ले सकता है। प्रशासन ने मामले की जांच के संकेत दिए हैं, लेकिन अभी तक किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बता दें कि कुछ रोज पूर्व बहादुरगढ़ के कसार गांव के पास निर्माणाधीन बाला जी मंदिर को डीटीपी विभाग द्वारा अवैध बता कर तोड़ दिया गया था। लेकिन मंदिर समिति और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों का आरोप है कि वहां के स्थानीय नेता की शह पर ही डीटीपी विभाग ने अपनी इस कार्रवाई को अंजाम दिया। मंदिर के निर्माण में करीब 25 लाख रूपए की राशि खर्च हो चुकी थी और डीटीपी विभाग ने मंदिर को करीब आठ से दस फुट की नीचे की गहराई तक जेसीबी मशीन से तोड़कर तहस नहस कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह मंदिर न तो सरकारी जगह पर था और न हीं रोड़ के बीच में आता था। मंदिर समिति इस जमीन की सीएलयू लेने के लिए भी प्रयास कर रही थी। लेकिन अचानक इस पर पीला पंजा चला दिया गया। समिति के लोगों ने शासन और प्रशासन से आरोपियों से ही इस तोड़े गए मंदिर की भरपाई करने की मांग की है।

Advertisement

Advertisement
×