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बिहारी बच्चे को बंधुआ मजदूर बनाने के मामले में जींद प्रशासन को आयोग का नोटिस

बिहार के युवक को डेयरी पर बंधुआ मजदूर बनाने, यातनाएं देने के मामले का मानवाधिकार आयोग ने स्वयं संज्ञान लिया है। आयोग ने जींद व नूंह के डीसी, एसपी, लेबर कमिशनर, नूंह के सिविल सर्जन को नोटिस जारी किया है।...
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बिहार के युवक को डेयरी पर बंधुआ मजदूर बनाने, यातनाएं देने के मामले का मानवाधिकार आयोग ने स्वयं संज्ञान लिया है। आयोग ने जींद व नूंह के डीसी, एसपी, लेबर कमिशनर, नूंह के सिविल सर्जन को नोटिस जारी किया है। सभी को 4 नवंबर तक इस पूरे मामले की डिटेल रिपोर्ट आयोग के पास भेजनी होगी। साथ ही आयोग ने नोटिस जारी कर जिस डेयरी संचालक के पास युवक रहा था, उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है। आयोग द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि बिहार के किशनगंज जिले का रहने वाला 15 वर्षीय संतोष 26 मई को काम की तलाश में हरियाणा आया था। वह बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन पर अपने साथियों से बिछड़ गया। वहां उसे एक युवक मिला और उसने उसे काम पर रखने की बात कही। संतोष के भाई जितेंद्र के अनुसार संतोष को कोई अज्ञात व्यक्ति अपने साथ 10 हजार रुपए महीने की मजदूरी पर रखने की बात कह कर ले गया था। संतोष को एक डेयरी में बंधुआ बनाकर रखा गया। यहां उससे काम लिया जाता था और उससे मारपीट भी की जाती थी, लेकिन उसे मानदेय कुछ नहीं दिया जाता था। खाना भी उसे समय पर नहीं मिलता था। जितेंद्र ने बताया कि संतोष के अनुसार जहां उसे रखा गया था, वहां आसपास जंगल था और वहां कोई फसल भी नहीं हो रही थी। इस मामले में प्रारंभिक तौर पर जींद का नाम सामने आया था। तब कहा गया था कि बच्चा जींद से तावड़ू पहुंचा और वहां उसे अरविंद नामक एक टीचर मिला और उसकी मदद के बाद इस बच्चे को खाना मिला और साथ ही चिकित्सा भी।

नूंह पुलिस को बच्चे की पहचान और उसके भाई को ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। संतोष का कहना है कि उसे जींद में ही कहीं भैंस डेयरी में रखा गया था। फिर एक दिन मशीन से चारा काटते समय उसका हाथ कट गया। चोट लगने के बाद उसके मालिक ने उसे कोई दवा दी, जिससे उसे नींद आ गई। जब वह नींद से जागा तो वह एक डिस्पेंसरी में था। उसकी जेब में कुछ पैसे भी थे। इसके बाद वह फिर से सो गया। जब वह उठा तो पैसे और उसके कपड़े गायब थे। डिस्पेंसरी वाले ने उसे वहां से जाने को कहा। तभी वह पैदल ही बिहार अपने घर की ओर चल पड़ा।

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फिर वह पैदल ही नूंह पहुंच गया था। जब वह तावडू पहुंचा उस समय उसके शरीर पर केवल एक अंडरवियर था। इस मामले में डीसी मोहम्मद इमरान

रजा ने कहा कि मानवाधिकार आयोग के नोटिस पर पुलिस की जांच रिपोर्ट आयोग को भेजी जा रही है। अभी तक जींद पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि बच्चे का हाथ जींद में नहीं कटा।

क्या कहते हैं असिस्टेंट लेबर कमिश्नर

जींद के सहायक लेबर कमिश्नर राजेश चौहान ने बताया कि वह इस मामले में वह पूरी तरह से बच्चे के परिवार से संपर्क में हैं। उनके पास आयोग का नोटिस आया है, उसका जवाब दिया जाएगा। लेकिन इस मामले में जिस प्रकार का एरिया बताया जाता है, ऐसा एरिया जींद में नहीं है।

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