कोल्ड वार : सीएम के कार्यक्रम में पूर्व विधायक और संगठन में टकराव, मुख्यमंत्री के कटआउट्स लगाना भूला विभाग
कार्यक्रम स्थल पर विभाग की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बडौली के बड़े-बड़े कटआउट्स तो लगाए गए थे, लेकिन कार्यक्रम के मुख्यातिथि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के ही कटआउट्स लगाना भूल गए। भाजपा संगठन की ओर से इस चूक पर आपत्ति जताए जाने के बाद आनन-फानन में सीएम के आगमन से कुछ देर पहले ही कटआउट्स लगाए गए।
इसके अलावा मंच पर सरकारी प्रोटोकॉल के तहत केवल एक आधिकारिक बैनर होना चाहिए था, लेकिन उसी के साथ पूर्व विधायक दूड़ाराम का मुख्यमंत्री के स्वागत वाला फोटो सहित बैनर भी टांग दिया गया। संगठन की ओर से इसका कड़ा विरोध जताया गया, मगर किसी अधिकारी ने बैनर हटाने की हिम्मत नहीं दिखाई। विवाद यहीं तक सीमित नहीं रहा। मंच पर बैठने वालों की सूची में जिला परिषद चेयरपर्सन सुमन खिचड़ का नाम शामिल नहीं था। बाद में जिला प्रधान के प्रयासों से उनके लिए कुर्सी लगवाई गई।
नेताअों में घोषणाएं पूरी करवाने का श्रेय लेने की होड़
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने जिले के लिए कई घोषणाएं कीं, जिनमें प्रस्तावित वन्य जीव उपचार केंद्र का नाम गौ ऋषि राजेंद्र नंद के नाम पर रखने की घोषणा भी शामिल रही। इसके बाद इस फैसले का श्रेय लेने की होड़ मच गई। जिला भाजपा अध्यक्ष प्रवीण जोड़ा और पूर्व विधायक दूड़ाराम दोनों ने अलग-अलग मेल भेजकर इसे अपनी उपलब्धि बताने का दावा किया।
हालांकि मुख्यमंत्री के समक्ष जिलाध्यक्ष प्रवीण जोड़ा ने जिले से जुड़ी 17 मांगें रखीं, जबकि पूर्व विधायक ने अपने हलके के लिए 6 मांगें प्रस्तुत कीं। दूड़ाराम ने गांव बड़ोपल में खेल स्टेडियम और लड़कियों के लिए कॉलेज खोलने की बात रखते हुए यहां तक कह दिया कि यदि ये मांगें पूरी नहीं हुईं तो उन्हें रोटी नहीं मिलेगी। वहीं, प्रवीण जोड़ा ने अपने पैतृक गांव से जुड़ी मांगों को प्राथमिकता दी। मुख्यमंत्री ने इस पर अधिकारियों को फिज़िबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए।
पहले भी हुए है ऐसे टकराव
गौरतलब है कि भाजपा संगठन और पूर्व विधायक दूड़ा राम के बीच टकराव नया नहीं है। इससे पहले भी दूड़ा राम द्वारा बीजेपी हरियाणा नाम से मेल आईडी से प्रेस नोट जारी किए जाते थे, जिन्हें संगठन ने अनधिकृत करार दिया था। हाल ही में सीएम के आगमन से पहले भी एक प्रेस नोट जारी किया गया, जिसे बाद में रद्द करने की सूचना दी गई। इस अंदरूनी खींचतान का असर जिला परिषद प्रधान की कुर्सी पर भी साफ दिखाई दे रहा है। एक गुट उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास करवाने में जुटा है तो दूसरा उसे विफल करने के प्रयास कर रहा है।