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बागवानी विभाग के घोटाले में अधिकारियों और किसानों पर केस दर्ज

पांच किसानों को फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर दे दी 2.55 लाख की सब्सिडी
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सोनीपत, 6 फरवरी (हप्र)

जिला बागवानी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ किसानों ने फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर मशरूम फार्मिंग एंड कल्टिवेशन योजना के अंतर्गत शेड बनाने के नाम पर सब्सिडी ले ली। शिकायत पर मुख्यमंत्री उड़नदस्ते टीम ने मामले की जांच की तो फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। अधिकारियों ने सब्सिडी देने के लिए मौके पर जाकर सत्यापन और जांच कार्य करने में खानापूर्ति करते हुए पांच किसानों को फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर 2.55 लाख रुपये की सब्सिडी जारी कर दी। मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के एसआई राजसिंह की शिकायत पर जिला बागवानी अधिकारी प्रमोद कुमार, एचडीओ ज्वाला सिंह, फील्डमैन चांदराम, भठगांव के किसान सियाराम, संदीप, विकास, भगत सिंह, सुमित और सितेंद्र के खिलाफ थाना सदर सोनीपत ने मामला दर्ज कर लिया है।

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बता दें कि मुख्यमंत्री उड़नदस्ता को शिकायत मिली थी कि बागवानी विभाग की योजना वितरण में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। किसानों को फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर सब्सिडी जारी की जा रही है। शिकायत की जांच करने के लिए मुख्यमंत्री उड़नदस्ता के एसआई राजसिंह के नेतृत्व में टीम जिला बागवानी कार्यालय में पहुंची। जहां पर टीम ने किसानों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जारी की गई सब्सिडी की जांच की गई। जांच के दौरान किसानों से भी सब्सिडी मिलने के बारे में जानकारी जुटाई गई।

गौरतलब है कि मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित जाति वर्ग के लिए योजना शुरू की हुई हैं। जिसके अंतर्गत शेड बनाने के लिए 51 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाती है। योजना का लाभ लेने के लिए सरकार की तरफ से गाइडलाइन भी जारी की गई है। किसानों को बांस और पराली की झोपड़ी बनानी होगी। किसान के पास मशरूम खेती का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र होना चाहिए।

फील्डमैन को प्रति प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र तीन हजार देने के आरोप

विभाग की तरफ से योजना के अंतर्गत सात किसानों को सब्सिडी दी गई थी, उनके कागजातों की जांच की गई। किसानों ने लाभ लेने के लिए महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र आवेदन के साथ लगाया हुआ था। टीम ने केंद्र से प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों की जांच कराई। केंद्र की तरफ ने बताया कि केवल किसान नवीन पुत्र जयपाल और सुरेंद्र पुत्र नंदूराम ने ही प्रशिक्षण लिया था। शेष पांच किसान संदीप, विकास, भगत सिंह, सुमित और सितेंद्र ने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया था। सब्सिडी लेने के लिए बिना प्रशिक्षण के ही मिलीभगत करके फर्जी सर्टिफिकेट बनवाएं थे। फील्डमैन ने पांचों व्यक्तियों के प्रशिक्षण पत्र 4 हजार रुपये प्रति व्यक्ति बनवाने की बात कही थी, परंतु तीन हजार रुपये प्रति प्रमाण पत्र के हिसाब से 15 हजार रुपये में सौदा हो गया।

सब्सिडी की आधी राशि फील्डमैन ने अधिकारियों के नाम पर ली

जांच में पाया कि किसान सियाराम की मुलाकात अपने भाई सुरेंद्र की सब्सिडी की फाइल तैयार कराते समय विभाग के फील्डमैन चांदराम से हुई थी। उसने सुझाव दिया कि उसके पास 14 झोपड़ी हैं। वह अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी इन झोपडिय़ों में से एक-एक झोपड़ी दिखाकर योजना का लाभ दिला सकता है। सब्सिडी दिलाने की एवज में आधी राशि फील्डमैन द्वारा अधिकारियों के लिए ली जानी थी। सियाराम ने परिवार के पांचों व्यक्ति के नाम बताते हुए कहा कि इनके पास मशरूम प्रशिक्षण प्रमाण पत्र नहीं है। फील्डमैन ने प्रमाणपत्र बनवाने की बात कही थी। लाभार्थी किसान संदीप, विकास, भगत सिंह, सुमित व सितेंद्र के आधार कार्ड, राशन कार्ड, परिवार पहचान पत्र, पैन कार्ड, अनु सूचित जाति प्रमाणपत्र और बैंक खाता की डिटेल फील्डमैन को दी गई। फील्डमैन ने ही उनकी फाइल तैयार कराकर आनलाइन की थी। बाद में एचडीओ से एक ही जगह बनी मशरूम फार्मिंग की 14 झोपडिय़ों में से पांच लाभार्थियों की एक-एक झोपड़ी दिखाकर सत्यापन करा दिया गया। इसके बाद प्रति व्यक्ति 51 हजार रुपये की राशि उनके खाते डाल दी गई। किसान सियाराम जांच टीम को बताया कि फील्डमैन को 29 जनवरी को 42 हजार रुपये बैंक खाते से और आठ हजार रुपये अपने पास से दिए थे।

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