नौकरशाही की लापरवाही और उदासीनता ने रोकी सौरभ गर्ग के सम्मान की राह
जींद जिले के पिल्लूखेड़ा कस्बे के सौरभ गर्ग को शहीद का दर्जा मिलने में नौकरशाही की लापरवाही और उदासीनता का हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने गंभीर नोटिस लिया है। इस सिलसिले में आयोग ने हरियाणा के मुख्य सचिव को 6 सप्ताह में यह बताने को कहा है कि सौरभ गर्ग के मामले में इतनी देरी क्यों हुई, और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। साथ ही आयोग ने प्रदेश सरकार से सिफारिश की है कि वह भारत सरकार के गृह विभाग से अनुरोध करे कि गृह विभाग अपनी 1/4/2024 की अधिसूचना में छूट देकर सौरभ गर्ग के मामले पर विशेष रूप से विचार करे।
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा, सदस्य कुलदीप जैन और दीप भाटिया की पीठ ने सौरभ गर्ग के पिता की शिकायत पर सुनवाई के बाद उपरोक्त आदेश और सिफारिश जारी की। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि मुख्य सचिव 6 सप्ताह में रिपोर्ट दें कि 2012 से अब तक सौरभ गर्ग के मामले में हुई देरी के लिए कौन जिम्मेदार है। इसके अलावा आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि वह भारत सरकार के गृह मंत्रालय से अनुरोध करे कि ऐसे मामलों में 1 अप्रैल 2024 की अधिसूचना में छूट प्रदान कर सौरभ गर्ग के मामले पर विशेष विचार करे। आयोग ने अपनी सिफारिश में यह भी कहा है कि प्रदेश सरकार खुद भी शहीद सौरभ गर्ग को राज्य स्तर पर उपयुक्त साहसिक पुरस्कार प्रदान करने पर विचार करे।
स्मारक के रखरखाव को लेकर निर्देश जारी
आयोग ने पिल्लूखेड़ा में शहीद सौरभ गर्ग स्मारक का रखरखाव सही तरीके से नहीं होने की सौरभ गर्ग के पिता की शिकायत को गंभीरता से लिया। इसमें आयोग ने निर्देश दिए कि सौरभ गर्ग स्मारक में सफाई, रात के समय रोशनी, बागवानी और देखरेख के लिए विस्तृत रखरखाव प्लान तैयार किया जाए। इसके लिए अलग बजट हेड बनाया जाए। स्मारक के लिए माली और सफाई कर्मचारी नियुक्त किए जाएं। इस स्मारक के पास कूड़ेदान, पीने के पानी की सुविधा, बेंच और सोलर एलइडी लाइट लगवाई जाए। स्मारक की महता और जिम्मेदार प्राधिकरण का नाम प्रदर्शित किया जाए।
2011 में गई थी जान
जींद जिले के पिल्लूखेड़ा कस्बे का सौरभ गर्ग 8 दिसंबर 2012 को पिल्लूखेड़ा मंडी में एक घर में रसोई गैस सिलेंडर के कारण लगी आग में घिरे 11 लोगों को बचाते हुए अपनी जान पर खेल गया था। उसके पड़ोस के घर में रसोई गैस के सिलेंडर में गैस के रिसाव के कारण आग लग गई थी। पड़ोस के इस मकान में 11 लोग भीषण आग की चपेट में आ गए थे, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। सौरभ गर्ग ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए इन 11 लोगों को आग में जल रहे मकान से सुरक्षित बाहर निकाला, लेकिन इसी दौरान एक भयंकर विस्फोट हुआ, जिसकी चपेट में आकर सौरभ गर्ग शहीद हो गए थे। सौरभ गर्ग के पिता अपने बेटे के बलिदान को मान्यता दिलवाने के लिए 13 साल से लगातार प्रयासरत हैं। पिल्लूखेड़ा के सौरभ गर्ग को शहीद का दर्जा दिए जाने की सिफारिश घटना के एक सप्ताह के दौरान ही जींद के तत्कालीन डीसी ने गृह विभाग को भेज दी थी।