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स्टाम्प घोटाले के आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

फतेहाबाद, 23 जून (हप्र) तहसील में स्टाम्प पेपर घोटाले में आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका सोमवार को स्थानीय अदालत ने खारिज कर दी है। आरोपी प्रॉपर्टी डीलर भाई संदीप आहूजा व राकेश आहूजा ने चार दिन पहले अग्रिम जमानत याचिका...
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फतेहाबाद, 23 जून (हप्र)

तहसील में स्टाम्प पेपर घोटाले में आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका सोमवार को स्थानीय अदालत ने खारिज कर दी है। आरोपी प्रॉपर्टी डीलर भाई संदीप आहूजा व राकेश आहूजा ने चार दिन पहले अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नविंदू जैन की अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी है। याद रहे कि दैनिक ट्रिब्यून में स्टाम्प पेपर घोटाला उजागर होने के बाद नायब तहसीलदार आशीष ने 19 मार्च 2025 को शिकायत देकर 8 लाख 60 हजार 675 रुपये के स्टाम्प घोटाले का आरोप लगाया था। जिसमें पुलिस को तीन मोबाइल नंबरों की शिकायत देते हुए कहा गया था कि जिन स्टाम्प पेपर को दोबारा यूज किया गया है, उनमें उपरोक्त तीनों मोबाइल नंबर में आए ओटीपी से नाम बदला गया। इसी मामले में डॉ़ अजय नारंग ने अलग से एक शिकायत दी थी। पुलिस ने दोनों मामले इकट्ठे कर दिए। हालांकि कोर्ट ने दोनों मामले इकट्ठे करने पर एतराज भी जताया, लेकिन | पुलिस ने कहा कि दोनों मामले एक दूसरे से जुड़े हैं। अदालत ने नायब तहसीलदार को कोर्ट में बुलाकर स्टाम्प निकालने की प्रक्रिया भी जानी। उल्लेखनीय है कि डॉ़ अजय नारंग ने शहर थाने में शिकायत देकर आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी डॉ ईला नारंग ने अल्फा सिटी में संदीप आहुजा की मार्फत नर्सिंग होम के लिए प्लाट लिया था। आरोप है कि संदीप आहुजा ने 7 लाख का एक स्टाम्प लेने की बजाए 4 लाख और 3 लाख के दो स्टाम्प निकलवाए बाद में ऑपरेटर से सेटिंग कर 3 लाख का स्टाम्प दूसरी रजिस्ट्री में यूज कर लिया। इस मामले में डॉ अजय नारंग ने तहसीलदार से लेकर रजिस्ट्री क्लर्क तक को आरोपी बनाया था शहर पुलिस ने दोनों मामलों में धारा 340, 338, 366 (3), 319, 318 (4), 316 (2), 184 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन पुलिस द्वारा इस मामले में तीन महीने तक कोई कारवाई न करने पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। क्योंकि दोषी प्रॉपर्टी डीलर अपने कार्यालय में मौजूद रहे।

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पता चला है कि एसपी सिद्धांत जैन ने जब दर्ज मामलों की रिपोर्टों को खंगाला तो उनके संज्ञान में मामला आने के बाद पुलिस ने कारवाई शुरू की। जिस पर इस मामले में तीनों मोबाइल नंबरों के मालिक फरार हो गए तथा दो ने अग्रिम जमानत याचिका लगा दी। जिसे खारिज कर दिया गया है।

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