सुशील शर्मा/निस
लोहारू, 18 जून
सपने उनके ही पूरे होते हैं, जो संघर्ष की आग में तपकर निखरते हैं। लोहारू क्षेत्र के गांव हरियावास के राजेश कुमार ने इस बात को सच साबित कर दिखाया है। भारतीय सेना के हवलदार राजेश कुमार 14 जून को भारतीय मिलिट्री अकादमी से लेफ्टिनेंट बन कर निकले। उनकी यह यात्रा केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समर्पण, दृढ़ निश्चय और परिवार व गुरुओं के मार्गदर्शन की मिसाल है।
राजेश कुमार ने बताया कि उसने 2011 में भारतीय सेना में एक सामान्य सैनिक के रूप में भर्ती होकर देश सेवा की शुरुआत की थी, परंतु उनके मन में एक सपना था - अधिकारी बनकर नेतृत्व करना। उन्होंने इस उद्देश्य से तीन बार आर्मी कैडेट कॉलेज की परीक्षा दी, लेकिन हर बार असफलता ने रास्ता रोका।
राजेश बताते हैं कि तीसरी बार फेल होने के बाद खुद पर विश्वास डगमगाने लगा था, लेकिन पत्नी प्रियंका और गुरुजन प्रो. प्रवीन शर्मा तथा डॉ. गायत्री शर्मा ने उसे हार नहीं मानने दी।
माता-पिता और पत्नी का त्याग
जब राजेश हार मानने के करीब थे, तब उनके माता-पिता और पत्नी प्रियंका ने उन्हें भावनात्मक रूप से संभाला। घर की पूरी ज़िम्मेदारी उठाई और उन्हें पढ़ाई और तैयारी के लिए समय और माहौल दिया। राजेश ने भावुक होकर कहा कि अगर माता-पिता और पत्नी प्रियंका का साथ न होता, तो वह शायद यह सफर अधूरा ही छोड़ देता। उन्होंने उसे बार-बार याद दिलाया कि मेरा सपना सिर्फ मेरा नहीं, हमारा है।
शिक्षकों का मार्गदर्शन बना सफलता की कुंजी
राजेश की सफलता में दो शिक्षकों का योगदान भी निर्णायक रहा। उन्होंने बताया कि प्रोफेसर प्रवीन शर्मा और डॉ. गायत्री शर्मा ने उन्हें लगातार सही दिशा दी। चाहे एसएसबी इंटरव्यू की तैयारी हो, आत्मविश्वास बढ़ाना हो या अंग्रेजी और सामान्य अध्ययन में सुधार करना हो। प्रो. शर्मा और डॉ. गायत्री ने उसे सिर्फ विषय नहीं सिखाए, बल्कि यह सिखाया कि कैसे असफलता को सीढ़ी बनाकर सफलता तक पहुंचा जाता है।
मित्र लेफ्टिनेंट संदीप की भी प्रेरणा
इस कठिन राह में राजेश के एक और साथी लेफ्टिनेंट संदीप ने उन्हें लगातार हिम्मत दी और सफलता की तरफ प्रेरित किया। राजेश कुमार ने बाद में एससीओ एंट्री के लिए चयनित होकर इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून से कठिन प्रशिक्षण पूरा किया और अब उन्होंने गर्व से लेफ्टिनेंट राजेश कुमार के रूप में सेवा शुरू कर दी है।